थीम 2020 : "मिट्टी को जीवित रखना, मिट्टी की जैव विविधता की रक्षा करना"।
5 दिसंबर क्यों : मृदा दिवस पहल के प्रमुख समर्थक थाईलैंड के राजा स्वर्गीय एच.एम भूमिबोल अदुल्यादेज के जन्मदिवस पर।
शुरुआत:
• सर्वप्रथम 2002 में अंतरराष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ ने 5 दिसंबर को हर साल विश्व मृदा दिवस मनाने की सिफारिश की थी
• खाद्य और कृषि संगठन (Food And Agriculture Organisation) ने जून 2013 के सम्मेलन में सर्वसम्मति से विश्व मृदा दिवस का समर्थन किया
• वर्ष 2013 के 68 वें सत्र में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 5 दिसंबर को ‘विश्व मृदा दिवस’ के रूप में घोषित किया
खाद्य व कृषि संगठन (FAO)
• यह संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक व सामजिक परिषद् के अधीन कार्य करने वाली एक संस्था है।
• स्थापना - 16 अक्टूबर, 1945
• मुख्यालय - रोम, इटली।
• वर्तमान में इसके कुल 194 सदस्य हैं।
उद्देश्य :
• मृदा प्रबंधन में बढ़ती चुनौतियों, मृदा जैव विविधता हानि से लड़ते हुए, स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र और जन कल्याण को बनाए रखने के महत्व के बारे में जागरूक करना तथा दुनिया भर की सरकारों, संगठनों, समुदायों और व्यक्तियों को प्रोत्साहित करना।
क्यों हैं जरुरी :
• मिट्टी का निर्माण विभिन्न अनुपातों में खनिज, कार्बनिक पदार्थ और वायु से होता है।
• मृदा प्रदूषण का खाद्यान्न, जल तथा वायु पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है, जो प्रत्यक्ष रूप से स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
• विशेषकर किसानों को मिट्टी की सही-सही प्रकृति व व्यवहार की समझ होना आवश्यक है क्योंकि आज खेतों में फसलों की ज्यादा पैदावार के लिए अत्यधिक रासायनिक खाद्य और कीटनाशक दवाओं का प्रयोग मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को तेजी से घटाता जा रहा है।
• पौधों के विकास के साथ ही मिट्टी कई कीड़ों और जीवों का आश्रय स्थल है। यह भोजन, कपड़े, मकान और चिकित्सा सहित चार आवश्यक 'जीवित' कारकों का स्रोत है अत: मिट्टी का संरक्षण आवश्यक है।
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