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हर साल 29 जनवरी की शाम सूर्यास्त से ठीक पहले दिल्ली के विजय चौक की फिज़ा में एक अलग ही रंग घुल जाता है। देशप्रेम और राष्ट्रभक्ति के सुर और जगमगाता हुआ राजपथ एक अलग ही छटा बिखेरता है। हर साल गणतंत्र दिवस के बाद आयोजित होने वाले इस समारोह में भारतीय सेना अपनी ताकत और संस्कृति का प्रदर्शन करती है।
कब से और क्यों मनाया जाता है बीटिंग द रिट्रीट?
बीटिंग द रिट्रीट समारोह चार दिवसीय गणतंत्र दिवस समारोह की समापन का प्रतीक है। इस समारोह में सेना के तीनों विंग – थल सेना, नौसेना और वायु सेना के जवान पारंपरिक धुन के साथ मार्च करते हैं। वैसे बीटिंग रिट्रीट ब्रिटेन की बहुत पुरानी परंपरा है, जिसका असली नाम ‘वॉच सेटिंग’ है और यह हमेशा सूर्य डूबने के समय मनाया जाता है। भारत में बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत सन 1950 से हुई। भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने बड़े पैमाने पर बैंड द्वारा प्रदर्शन अनूठे समारोह की शुरुआत की थी।
कैसे मनाई जाती है बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी?
बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी हर साल 29 जनवरी को आयोजित की जाती है। यह चार दिवसीय गणतंत्र दिवस समारोह के अंत का प्रतीक है। इसका आयोजन राष्ट्रपति भवन रायसीना हिल्स में किया जाता है। समारोह की शुरुआत राष्ट्रपति के आगमन के साथ होती है, जो अपने अंगरक्षकों के साथ कार्यक्रम में शिरकत करने आते हैं। जिसके बाद संगीत भरे समारोह में तीनों सेनाएं एक साथ मिलकर धुन बजाते हैं और समारोह की शुरुआत होती है, जो भारतीय सेना बलों के बैंड द्वारा शानदार प्रदर्शन का गवाह बनता है, जिसमें “एबाइडिड विद मी”, “सारे जहां से अच्छा”, “कदम कदम बढ़ाये जा” जैसे कई अन्य देशभक्ति से ओतप्रोत धुनें शामिल हैं। बता दें कि 2016 के बाद से बीटिंग रिट्रीट में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और राज्य पुलिस बैंड भी शामिल होने लगे हैं।
गणतंत्र दिवस का औपचारिक समापन
इसके बाद बैंड मास्टर राष्ट्रपति के समीप जाते हैं और बैंड वापस ले जाने की अनुमति मांगते हैं, तभी रिट्रीट का बिगुल बजता है। इसके बाद सूचित किया जाता है कि समापन समारोह पूरा हो गया है। बैंड मार्च वापस जाते समय लोकप्रिय धुन सारे जहां से अच्छा बजाते हैं। ठीक शाम 6 बजे बगलर्स रिट्रीट की धुन बजाते हैं और राष्ट्रीय ध्वज को पूरे सम्मान के साथ उतार लिया जाता है तथा राष्ट्रगान गाया जाता है। इस प्रकार गणतंत्र दिवस के आयोजन का औपचारिक समापन होता हैं। आयोजन के बाद, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी विजय चौक पर घूमते हैं और वहां मौजूद लोगों को बधाई देते हैं।
बीटिंग द रिट्रीट एक सदियों पुरानी सैन्य परंपरा को दर्शाता है, जब सैनिकों शाम को युद्ध का समापन करके अपने हथियार के साथ युद्ध के मैदान से वापस अपने कैंप या बैरक में लौट आते हैं। इसके बाद गायन वादन का आनंद उठाते हैं।
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