"हमारे ऊपर अग्रेजो ने क्यों राज किया, जब हम खुद ही अपना शासन चला सकते हैं,अच्छा या बुरा"
15 अगस्त 1947 को भारत का एक बड़ा जनसमूह अपने आप को आजाद महसूस कर रहा था। लाल किले पर फहराया हुआ झंडा हमे किससे आजाद होने का सुकून दे रहा था ???
हर्षोल्लास चरम पर था क्योंकि कुछ बदल गया था। कुछ लोगों को आगे देश चलाने की चुनौती थी वही दूसरी तरफ हृदय में एक रोमांच सत्ता पाने का था। इसी भूभाग के कई सारे राजा महाराजा जो स्वायत्त थे नई सत्ता के परतंत्र हो गए,बहुतो के लिए निजाम बदला लेकिन परिस्थिति नहीं, कई तो आजाद होना ही नहीं चाहते थे और जो साथ नही रह सके वो अलग हो गए।
वही आज तक कुछ अपने को आज़ाद भी नही मानते हैं आजादी तो ऐसी आई मानो हमेशा गुलामी में थे और अब हम महज 70 सालों में बने देश है हमे लगता है कि वो आजादी के दीवानो ने आजाद होने का परचम जब पूरी दुनिया में लहरा तो क्या सोचा होगा???
आज जातिवाद सम्प्रदाय वाद और धर्म वाद से बटा हुआ भारत , भ्रष्टाचार चरित्र हीनता भेदभाव फैलाने मे माहिर नेता
गोरो से आजाद करा कर अपना गुलाम बनाने की फिराक मे काले लोग......
शायद ऐसे भारत का सपना देखा होता तो शायद ही वे शहीद अपने जान की बाजी नही लगाते । उनकी शहादत को जाया न करे कि नही तो अमर बलिदानियो की आत्माये हमे धिक्कारेगी ....
इस आजादी को सर्वव्यापी बनाया जाए। सबको अपना हक मिले, लोकतन्त्र मजबूत हो, किसी को किसी से भय ना हो, सभी के पास समुचित रोजगार हो, भारत फिर विश्व गुरु बने यह संकल्प ले ।।
जय हिंद
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