अनुनासिक - अनुनासिक (ँ ) वे स्वर हैं जिन स्वरों की मात्राएँ शिरोरेखा पर नहीं लगतीं, उन्हीं में अनुनासिक -चिन्ह (ँ ) का प्रयोग होता है। जैसे ऊँट, नदियाँ, आँख, संभालना आदि।
अनुस्वार - अनुस्वार अनुनासिक व्यंजन का एक रूप है। जिन स्वरों की मात्राएँ शिरोरेखा पर लगती हैं, व्यान पर अनुस्वार चिन्ह (ं ) का प्रयोग होता है। जैसे- नींद, छींक, सेंक, ऐंठना, भौंरा, आदि।
अनुस्वार और अनुनासिक शब्दों के स्वरुप में अंतर है -
अनुस्वार अनुनासिक
पंख हंस कंस चाँद साँप टाँग
पतंग तरंग पलंग माँ मुँह आँख
लंगूर छींक नींबू पाँच चाँटा घूँट
चोंच सरसों आँगन घूँघट झाँकना
ढिंढोरा अंग घोंसला ऊँगली साँस डाँट
गंगा मंदा चंगा अँगूठी आँसू
अंगूर हँसना फँसना जँचना
विशेष अंतर- ह्रस्व स्वर के ऊपर अनुस्वार लगने से वह दीर्घ हो जाता है किन्तु अनुनासिक लगने से वह दीर्घ नहीं होता। जैसे -
हंस - अनुस्वार सहित ह में अ दीर्घ हो गया है इसकी दो मात्रा गिनी जाएँगी।
हँसना - यहाँ अनुनासिक लगने से ह में अ दीर्घ नहीं होता। इसकी एक ही मात्रा गिनी जाएगी।
=>अनुस्वार और अनुनासिकता के साथ आने वाले कुछ शब्दों में अर्थभेद होता है। जैसे-
अनुस्वार के साथ अनुनासिकता के साथ
हंस हँस (ना)
अनुस्वार - अनुस्वार अनुनासिक व्यंजन का एक रूप है। जिन स्वरों की मात्राएँ शिरोरेखा पर लगती हैं, व्यान पर अनुस्वार चिन्ह (ं ) का प्रयोग होता है। जैसे- नींद, छींक, सेंक, ऐंठना, भौंरा, आदि।
अनुस्वार और अनुनासिक शब्दों के स्वरुप में अंतर है -
अनुस्वार अनुनासिक
पंख हंस कंस चाँद साँप टाँग
पतंग तरंग पलंग माँ मुँह आँख
लंगूर छींक नींबू पाँच चाँटा घूँट
चोंच सरसों आँगन घूँघट झाँकना
ढिंढोरा अंग घोंसला ऊँगली साँस डाँट
गंगा मंदा चंगा अँगूठी आँसू
अंगूर हँसना फँसना जँचना
विशेष अंतर- ह्रस्व स्वर के ऊपर अनुस्वार लगने से वह दीर्घ हो जाता है किन्तु अनुनासिक लगने से वह दीर्घ नहीं होता। जैसे -
हंस - अनुस्वार सहित ह में अ दीर्घ हो गया है इसकी दो मात्रा गिनी जाएँगी।
हँसना - यहाँ अनुनासिक लगने से ह में अ दीर्घ नहीं होता। इसकी एक ही मात्रा गिनी जाएगी।
=>अनुस्वार और अनुनासिकता के साथ आने वाले कुछ शब्दों में अर्थभेद होता है। जैसे-
अनुस्वार के साथ अनुनासिकता के साथ
हंस हँस (ना)
अनुस्वार सन्धि के नियम।।
अनुस्वार कहाँ? म् कहाँ?
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Padhayi Adda
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