तारा फिर से स्कूल जाने लगी। उसके लिए सब कुछ नया था • उसके स्कूल के कपड़े, शिक्षक, - किताबें, यहाँ तक कि उसके दोस्त भी । वह समझ नहीं पा रही थी कि वह इन सभी नई चीजों के बारे में कैसा महसूस कर रही है। तारा ने सोचा, "कुछ ऐसा होना आसान है जिसे आप जानते हैं और प्यार करते हैं।" इसलिए, उसने अपना पसंदीदा खिलौना अपने स्कूल बैग में रख लिया। आज सुबह तारा की माँ ने अपने बैग से अपना पसंदीदा खिलौना निकाला। यह देख तारा दुखी हो गई। उसका चेहरा उदास हो गया । वह अपनी माँ के साथ स्कूल तक चुपचाप चलती रही।
स्कूल पहुँचकर तारा एक कोने में चुपचाप बैठी रही। कई बच्चे उसके साथ खेलते थे, लेकिन आज वह उनके साथ नहीं खेली। घंटी बजी। सभी बच्चे अपनी-अपनी कक्षाओं में चले गए। लेकिन तारा वहीं रही ।
एक शिक्षिका ने तारा को देखा और उसे अपनी कक्षा में जाने को कहा। तारा धीरे-धीरे अपनी कक्षा में चली गई, लेकिन उसने किसी से बात नहीं की। शिक्षकों और बच्चों ने उससे बात करने की कोशिश की, लेकिन तारा ने कोई जवाब नहीं दिया। कक्षा में ढेर सारे खिलौने थे । कुछ बच्चे उनके साथ खेल रहे थे। तभी एक शिक्षिका एक बड़ा बैग लेकर आईं। वह बच्चों को उपहार देने लगी। उपहार पाकर सभी बच्चे खुश हो गए। तारा ने झिझकते हुए अपना उपहार उठाया और पैकेट खोला। अंदर का नज़ारा देखकर उसका चेहरा खिल उठा। उसको आश्चर्य हुआ, उपहार उसका पसंदीदा खिलौना था- जिसे उसकी माँ ने सुबह अपने स्कूल बैग से निकाला था ।
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