तस्कीन न हो जिस से , वो राज बदल डालो : इकबाल

तस्कीन न हो जिस से ,  वो राज़ बदल डालो
जो राज़ न रख पाए ,  हमराज़ बदल डालो

तुम ने भी सुनी होगी ,  बड़ी आम कहावत है
अंजाम का जो हो खतरा , आग़ाज़ बदल डालो

पुर-सोज़ दिलों को जो मुस्कान न दे पाए
सुर ही न मिले जिस में ,  वो साज़ बदल डालो

दुश्मन के इरादों को है ज़ाहिर अगर करना
तुम खेल वही खेलो ,  अंदाज़ बदल डालो

ऐ दोस्त करो हिम्मत ,  कुछ दूर सवेरा है
अगर चाहते हो मंज़िल ,  तो परवाज़ बदल डालो

> . इकबाल

0 comments:

Post a Comment

We love hearing from our Readers! Please keep comments respectful and on-topic.