तस्कीन न हो जिस से , वो राज़ बदल डालो
जो राज़ न रख पाए , हमराज़ बदल डालो
तुम ने भी सुनी होगी , बड़ी आम कहावत है
अंजाम का जो हो खतरा , आग़ाज़ बदल डालो
पुर-सोज़ दिलों को जो मुस्कान न दे पाए
सुर ही न मिले जिस में , वो साज़ बदल डालो
दुश्मन के इरादों को है ज़ाहिर अगर करना
तुम खेल वही खेलो , अंदाज़ बदल डालो
ऐ दोस्त करो हिम्मत , कुछ दूर सवेरा है
अगर चाहते हो मंज़िल , तो परवाज़ बदल डालो
> . इकबाल
जो राज़ न रख पाए , हमराज़ बदल डालो
तुम ने भी सुनी होगी , बड़ी आम कहावत है
अंजाम का जो हो खतरा , आग़ाज़ बदल डालो
पुर-सोज़ दिलों को जो मुस्कान न दे पाए
सुर ही न मिले जिस में , वो साज़ बदल डालो
दुश्मन के इरादों को है ज़ाहिर अगर करना
तुम खेल वही खेलो , अंदाज़ बदल डालो
ऐ दोस्त करो हिम्मत , कुछ दूर सवेरा है
अगर चाहते हो मंज़िल , तो परवाज़ बदल डालो
> . इकबाल
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