मध्यप्रदेश में शिक्षक पात्रता परीक्षा का भंडारा शुरू हो चुका हैं। इस भंडारे की खासबात यह हैं कि यह परीक्षा सम्पूर्ण भारत के छात्रों के लिए हैं। हमारे दयालु मामा के लिए पूरे भारत के छात्र भांजे भांजी हैं जबकि अब तक प्रवचनों में मामा की प्राथमिकता मध्यप्रदेश के भांजे भांजी थे। अभी हालफिलहाल में उत्तरप्रदेश में हुई 68500 शिक्षकों की भर्ती परीक्षा में केवल उत्तरप्रदेश के निवासियों को ही परीक्षा देने का मौका दिया गया था। बेरोजगारी से जूझ रहा मध्यप्रदेश नौकरियों के लिए पूरे भारत वर्ष को क्यों आमंत्रित कर रहा हैं? क्या परीक्षा फीस के नाम पर की जा रही उगाही इसके पीछे मुख्य वजह हैं या कोई और वजह हैं? क्या यही वजह हैं कि कांग्रेस अपने वचन पत्र में फीस न लेने का वचन दे रही हैं? परीक्षा से वसूल की जाने वाली करोड़ों की रकम भी सरकार के खाली खजाने को भरने का जरिया क्यों बनाई जा रही हैं ? मामा को सभी भांजों भांजियों को इस वजह से अपने प्रवचनों के माध्यम से वाकिफ कराना चाहिए।
इस भंडारे के नियमों पर विवाद होना निश्चित था क्या यही वजह थी कि सरकार ने पहले से ही हाइकोर्ट में इस विषय पर केवियट याचिका दायर की हैं?
इस भंडारे में मध्यप्रदेश के रोजगार कार्यालयों में जीवित रोजगार पंजीयन की अनिवार्यता भी समाप्त कर दी गई हैं ताकि बेरोजगारी के रजिस्टर्ड आंकड़ों पर कोई भी पत्रकार प्राइम टाइम न कर पाए। विदित हो रवीश कुमार ने इन्हीं आंकड़ो के बल पर सरकारों को कटघरे में खड़ा करने का काम किया था।
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