किसी भी प्रतियोगी परीक्षा का स्तर और प्रकृति को समझना बहुत ही जटिल कार्य है,प्रतिस्पर्धा की इस गलाकाट प्रतियोगिता मे यदि हम इसको खुद से समझने का प्रयास करते है तो समय की बहुत हानि होती है। आचार्य चाणक्य का भी कथन है कि हमे दूसरों की गलती से भी सीखना चाहिए खुद ही गलती करके सीखेगे तो यह जीवन भी छोटा पड़ जायेगा ऐसे सीनियर्स का यह प्रयास सराहनीय है हमे इसका स्वागत और सीनियर्स का धन्यवाद करना चाहिए ।
Follow Us 👇
Sticky
तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav
तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment