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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

IAS - PCS कौन बनता है?

आप लोगों ने कभी सोंचा है कि - "IAS कौन बनता है? क्यों बनता है? किसको जरूरत पडती है कलेक्टर बनने की? कौन सी वजहें हैं जो किसी कैंडिडेट को IAS बनने को प्रेरित करती हैं?.........
आप लोग सिविल सर्विस की तैयारी करते हैं लेकिन शायद ही उपर्युक्त प्रश्नों पर कभी गंभीरतापूर्वक विचार किया हो? आपमें से अधिकांश आधी-अधूरी जानकारी के साथ कंपटीशन की तैयारी शुरू करते हैं और मंजिल पर पहुचने से पहले ही ढेर हो जाते हैं ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ज्यादातर को यही नही पता होता है कि -
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“””वे कलेक्टर क्यों बनना चाहते हैं? खुद बनना चाहते हैं? या किसी और के लिए बनना चाहते हैं? या कि किसी विषम परिस्थिति से उबरने के लिए बनना चाहते हैं?
क्यों........ पता ही नही है?
यही कारण है कि उनके भीतर की ऊर्जा कुछ बेहतर करने के लिए अंदर से उबाल नही मारती।उनमे कोई ऐसी प्रेरणा पैदा ही नही होती - जो कहे कि "इस बार छोडना नही है ।सफलता हासिल करके दम लेना है।"
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आपने कभी गौर किया है कि - क्या आपके इर्दगिर्द सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी करने वाला कोई लडका या लडकी बहुत अमीर परिवार से है। जैसे कि - उसके घर में रालस रायस कार हो या महलनुमा बंगला हो। या पिता जी भारत सरकार या राज्य सरकारों में कैबिनेट मिनिस्टर हों या पुराने राजे - रजवाड़ों के खानदान या फिल्मी स्टार या स्पोर्ट्स स्टार हों अथवा पिता जी कैबिनेट सचिव हों या किसी राज्य के गवर्नर हों अथवा टाटा बिरला अंबानी के खानदान से हों..... शायद कोई भी लडका या लडकी इन परिवारों से नही आता है?
क्यों? ……………….क्योंकि उनके पास जरूरत की हर चीज मौजूद हैं। गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार के लोग न्याय पाने के लिए अदालत के चौखट पर नाक रगडते हैं फिर भी मुकदमा हार जाते हैं और अमीर लोग वकील और जज को ही खरीद लेते हैं। पुलिस मध्यमवर्गीय परिवारों तथा गरीबों को परेशान करती है और अमीर लोगों के आगे पुलिस का बडा अफसर भी दुम हिलाता है। ये लोग जो सम्मान और अवार्ड चाहें खरीद सकते हैं। इनके पास पावर की कमी नही होती। मीडिया के लोग इनकी हर खबर छापने के लिए हाजिर हैं जबकि आम आदमी रो - रो कर, दौड़ - भाग कर थक जाता है - कहीं सुनवाई नही होती है। ऐसे दमदार घरों के बच्चे सिविल सर्विस की तैयारी में वक्त क्यों बर्बाद करेंगे।
IAS में चयनित होने के बाद क्या मिलता है
----पैसा, पावर और शोहरत।।
---------- और ये तीनों चीजें उनके पास पहले से ही मौजूद हैं। बल्कि ज्यादा ही है, कम नही है।........ फिर इन परिवारों के बच्चे आई ए एस की तैयारी क्यों करेंगे?
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IAS की तैयारी करते हैं .....गरीबों और मिडिल क्लास फैमिली से आने वाले बच्चे। जो समाज में अपनी इज्जत बढाना चाहते हैं। जो यह चाहते हैं कि - - - - - - - मोहल्ले या गांव के लोगों में अपनी भी पहचान हो। लोग हमसे भी इज्जत से बात करें। या फिर किसी विवाद में उलझे होने के कारण - न्याय चाहते हैं या गरीबी के दलदल से बाहर निकलना चाहते हैं। अच्छे घर परिवार में संबंध बनाने की इच्छुक हैं। या फिर किसी कारणवश जो सपना पैरेंट्स नही पूरा कर सके - वह बच्चों के माध्यम से पूरा करना चाहते हैं।
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कुछ बच्चे देश सेवा के लिए या समाज को बदलने के लिए भी सिविल सर्विस का हिस्सा बनना चाहते हैं लेकिन ऐसे अभ्यर्थियों की संख्या कम ही है।
हमने देखा है कि - ज्यादातर कैंडिडेट सेलेक्शन के बाद शादी में करोडों रूपये और गाडी, फ्लैट इत्यादि की डिमांड करते हैं? कुछ ही अफसर होते हैं - जो सादगीपूर्ण तरीके से रिश्ते में बंधते हैं।
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तो हम ऐसा मानकर चलते हैं कि - आप चाहे जिस शहर में रहकर तैयारी कर रहे हों। हास्टल में या लाज में रहते हों। कोचिंग सेंटर में पढते हों अथवा सेल्फ स्टडी करते हों।लडके हों अथवा लडकी हों... आप लोग भी किसी सामान्य परिवार से संबंधित हैं।
यदि दंगल फिल्म की भाषा में बात करें तो -
"" आपको यह नही भूलना चाहिए कि - आप यहाँ तक कैसे पहुंचे हैं। "
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.............. आप लोग सौभाग्यशाली है कि सिविल सर्विस की तैयारी करने पर आपके घर परिवार के लोग आपके साथ खड़े हैं वर्ना करोडों प्रतिभाशाली किंतु विषम हालातों के कारण चाहकर भी यह नही कर पाते।
इसलिए अपनी मंज़िल को भूलना नही है। आपके पैरेंट ने आपके लिए बहुत कष्ट झेला है। उन्हे निराश मत करना। उनकी सारी जमा पूंजी आपके ऊपर ही लगी हुई है। इसे मौज मस्ती करने में बर्बाद मत करना।
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हमेशा ध्यान रखें -
दुनिया के दांव-पेंच से रखना ना वास्ता।
मंजिल तुम्हारी दूर है लंबा है रास्ता।
भटका न दे तुम्हे कोई धोखे में डालके
तुम हर कदम रखना जरा देखभाल के।।

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