अक़्ल पे पत्थर पड़ना! जब किस्मत ख़राब हो तो ऊँट पे बैठें आदमी को भी कुत्ता काट लेता है! जीती हुई बाज़ी हारना!न ख़ुदा मिला न रिसाले सनम!
सारी कहावतें BJP पर लागू होती हैं। 10% EWS आरक्षण का ऐतिहासिक फैसला तो ले लिया पर जब प्रावधान बनाने की बात आयी तो सबसे मुख्य प्रावधान आयु सीमा में छूट शामिल नहीं किया। जबकि आजतक भारत में कोई आरक्षण ऐसा नहीं जिसमें आयु सीमा में छूट न हो। जब EWS का क्रीमीलेयर OBC के समान 8 लाख है तो OBC के समान 3 साल छूट हैं क्यों नही?
इस फैसले से OBC और SC/ST का एक वर्ग जब BJP से नाराज़ होगा ये BJP को पहले से पता था तो कम से कम सामान्य वर्ग को तो पूरा आरक्षण देकर खुश करना था। अभी सभी लोगों को इसकी जानकारी नहीं है लेकिन ये कमी तो धीरे धीरे सामने आ ही रही है जिनको पता चल रहा है वे अपने को छला महसूस कर रहे हैं। वे न केवल खिलाफ वोट देंगे बल्कि दूसरों से भी दिलवाएंगे।
BJP भूल रही है कि आरक्षण का मुद्दा इस देश में कितना बड़ा मुद्दा हैं इस पर हर कदम फूंक फूंक कर उठाना पड़ता है। कितनी पार्टियां और सरकारे इस मुद्दे पर बनी और खत्म हो गई ये हर कोई जानता हैं।
एक कहावत और भी है:- सुबह का भुला शाम को घर लौट आए तो उसे भुला नहीं कहते। BJP के पास अभी भी वक़्त है। नहीं तो
'अब पाछे क्या पछतावे जब चिड़िया चुग गई खेत' रह जायेगा,
और फ़िर 'हंस चुगेगा दाना दुनका कौवा मोती खायेगा!

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