डॉ दिनेश शर्मा ने
शिक्षक कर्मचारी अधिकारी पुरानी पेंशन बचाओ मंच
क्यों बनाया????
15 मई 2018 को कोर्ट के आदेश के बाद प्राथमिक शिक्षक संघ दिनेश शर्मा गुट पर पत्राचार करने पर रोक लगा दी गई,, जिसके कारण इनकी नेतागिरी,,वसूली बन्द हो गई,,, अब नेतागिरी कैसे की जाए??? तो वर्तमान में शिक्षकों की सिर्फ एक ही बात इनको दिखी जिस पर शिक्षकों को बरगला कर अपनी ओर कर सकते थे,,, वह मुद्दा था *पुरानी पेंशन* का।
बस उसी पुरानी पेंशन के मुद्दे को हाईजैक करने की योजना बनाई गई और 1 जुलाई 2018 को लखनऊ में बैठक करके पूरी रणनीति बनी ,,,
फिर शुरू हुआ वही पुराना खेल रसीद,, कूपन छपे,,,, क्योंकि प्राथमिक शिक्षक संघ के नाम पर धन वसूली नहीं हो सकती थी,,,, अब पुरानी पेंशन के मुद्दे को कैश करना था और जमके कूपन और रसीदों के माध्यम से वसूली होना शुरु हो गई । जो कि इनका मूल उद्देश्य था और समय-समय पर अन्य संगठन पुरानी पेंशन के लिए कोई डेट लगाते हैं तो ये लोग भी उन्हीं डेट में यह अपनी किसी कार्यक्रम की डेट लगा देते हैं जिससे कि अन्य संगठनों के पुरानी पेंशन के धरना प्रदर्शन कमजोर हो जाएं ,,,
अभी हाल ही में हुये मशाल जलूस और धरना प्रदर्शन में शिक्षक नहीं पहुंचे । क्योंकि अब शिक्षक जान गया है कि पुरानी पेंशन की लड़ाई सही में कौन लड़ रहा है और यह pss तो सिर्फ वसूली के लिए ही अपना संगठन बनाए हैं
सभी शिक्षकों से करबद्ध प्रार्थना है प्राथमिक शिक्षक संघ के माध्यम से जो वसूली कर रहे थे वही वसूली अब उनके ही जिला अध्यक्ष शिक्षक कर्मचारी अधिकारी पुरानी पेंशन बचाओ मंच के जिला अध्यक्ष बनने के बाद वसूली का धंधा शुरू किए हुए हैं ,,,,,,
सभी लोग सूझबूझ से काम ले यह लोग पुरानी पेंशन के विषय से भटका रहे हैं और अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं कि भीड़ दिखाकर सरकार को डरा कर अपने संगठन को अवैध से वैध करा लेंगे ।
और पिछले महा हड़ताल में ऐसा ही समझौता के लिए सरकार के पास बिना बुलाए चले गए थे और वहां से मुंह की उल्टी खानी पड़ी और वापस आए
,,,,,,
एक बेचारा पेंशन विहीन साथी....
शिक्षक कर्मचारी अधिकारी पुरानी पेंशन बचाओ मंच
क्यों बनाया????
15 मई 2018 को कोर्ट के आदेश के बाद प्राथमिक शिक्षक संघ दिनेश शर्मा गुट पर पत्राचार करने पर रोक लगा दी गई,, जिसके कारण इनकी नेतागिरी,,वसूली बन्द हो गई,,, अब नेतागिरी कैसे की जाए??? तो वर्तमान में शिक्षकों की सिर्फ एक ही बात इनको दिखी जिस पर शिक्षकों को बरगला कर अपनी ओर कर सकते थे,,, वह मुद्दा था *पुरानी पेंशन* का।
बस उसी पुरानी पेंशन के मुद्दे को हाईजैक करने की योजना बनाई गई और 1 जुलाई 2018 को लखनऊ में बैठक करके पूरी रणनीति बनी ,,,
फिर शुरू हुआ वही पुराना खेल रसीद,, कूपन छपे,,,, क्योंकि प्राथमिक शिक्षक संघ के नाम पर धन वसूली नहीं हो सकती थी,,,, अब पुरानी पेंशन के मुद्दे को कैश करना था और जमके कूपन और रसीदों के माध्यम से वसूली होना शुरु हो गई । जो कि इनका मूल उद्देश्य था और समय-समय पर अन्य संगठन पुरानी पेंशन के लिए कोई डेट लगाते हैं तो ये लोग भी उन्हीं डेट में यह अपनी किसी कार्यक्रम की डेट लगा देते हैं जिससे कि अन्य संगठनों के पुरानी पेंशन के धरना प्रदर्शन कमजोर हो जाएं ,,,
अभी हाल ही में हुये मशाल जलूस और धरना प्रदर्शन में शिक्षक नहीं पहुंचे । क्योंकि अब शिक्षक जान गया है कि पुरानी पेंशन की लड़ाई सही में कौन लड़ रहा है और यह pss तो सिर्फ वसूली के लिए ही अपना संगठन बनाए हैं
सभी शिक्षकों से करबद्ध प्रार्थना है प्राथमिक शिक्षक संघ के माध्यम से जो वसूली कर रहे थे वही वसूली अब उनके ही जिला अध्यक्ष शिक्षक कर्मचारी अधिकारी पुरानी पेंशन बचाओ मंच के जिला अध्यक्ष बनने के बाद वसूली का धंधा शुरू किए हुए हैं ,,,,,,
सभी लोग सूझबूझ से काम ले यह लोग पुरानी पेंशन के विषय से भटका रहे हैं और अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं कि भीड़ दिखाकर सरकार को डरा कर अपने संगठन को अवैध से वैध करा लेंगे ।
और पिछले महा हड़ताल में ऐसा ही समझौता के लिए सरकार के पास बिना बुलाए चले गए थे और वहां से मुंह की उल्टी खानी पड़ी और वापस आए
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एक बेचारा पेंशन विहीन साथी....
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