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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

दैनिक सामान्य ज्ञान: क्यों महत्वपूर्ण है अरब स्प्रिंग ।।

2011 के अरब स्प्रिंग ज्यादातर मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में अरब दुनिया में केंद्रित थे। मध्य पश्चिमी एशिया एवं उत्तरी अफ्रीका में श्रृखंलाबद्ध विरोध-प्रदर्शन एवं धरना का दौर 2010 मे आरंभ हुआ, इसे अरब जागृति, अरब स्प्रिंग या अरब विद्रोह कहतें हैं।

अरब स्प्रिंग, क्रान्ति की एक ऐसी लहर थी जिसने धरना, विरोध-प्रदर्शन, दंगा तथा सशस्त्र संघर्ष की बदौलत पूरे अरब जगत के संग समूचे विश्व को हिला कर रख दिया था।

कारण: विशेषज्ञों के मुताबिक अरब स्प्रिङ की मुख्य वजह आम जनता की वहाँ की सरकारों से असंतोष एवं आर्थिक असमानता थीं।

शुरुआत
इसकी शुरुआत ट्यूनीशिया में 18 दिसंबर 2010 को मोहम्मद बउज़िज़ी के आत्मदाह के साथ हुई। बउज़िज़ी ने पुलिस भ्रष्टाचार एवं दुर्व्यव्हार से त्रस्त होकर आत्मदाह किया था। इनकी मृत्यु ने सरकार से असंतुष्ट वर्गों को एक करने का काम किया और सरकार विरोधी प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया, जिसमें समाज का हर तबका शामिल था।

ट्यूनीशिया की इस घटना के बाद अरब जगत में अपनी-अपनी सरकारों के खिलाफ जन-विरोध प्रदर्शन का सिलसिला शुरू हो गया।इसकी आग की लपटें अल्जीरिया, मिस्र, जॉर्डन और यमन पहुँची, जो शीघ्र ही पूरे अरब लीग एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में फैल गई।

इन विरोध प्रदर्शनो के परिणाम स्वरूप कई देशों के शासकों को सत्ता की गद्दी से हटने पर मजबूर होना पड़ा।

बहरीन, सीरिया, अल्जीरिया, ईरक, सुडान, कुवैत, मोरक्को, इजरायल में भारी जनविरोध हुए, तो वही मौरितानिया, ओमान, सऊदी अरब, पश्चिमी सहारा तथा फिलिस्तीन भी इससे अछूते न रहे।

सोशल मीडिया का एहम इस्तेमाल
हालाँकि यह क्रान्ति अलग-अलग देशों में हो रही थी, परंतु इनके विरोध प्रदर्शनो के तौर-तरीके में कई समानता थी - हड़ताल, धरना, मार्च एवं रैली।
अमूमन, शुक्रवार को विशाल एवं संगठित भारी विरोध प्रदर्शन होता, जब जुमे की नमाज़ अदा कर सड़कों पर आम नागरिक इकठ्ठित होते थे।

सोशल मीडिया का अरब क्रांति में अनोखा एवं अभूतपूर्व योगदान था। एक बेहद ही ढ़ाँचागत तरीके से दूर-दराज के लोगों को क्रांति से जोड़ने के लिए सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल हुआ।

अरब क्रांति ने पूरी दुनिया का आकर्षण अपनी ओर खींचा। दिसमबर 2011 में 'टाईम' पत्रिका ने अरब विरोधियों को 'द पर्सन ऑफ द ईयर' (The Person of the Year) खिताब से नवाजा।

अरब स्प्रिंग के क्रन्तिकारियों का नारा था-''जनता की पुकार-शासन का खात्मा हो''

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