आज का इतिहास मानव सभ्यता की महानतम बहुमुखी प्रतिभा लियोनार्दो दा विंची से ही जुड़ा है. 15 अप्रैल 1452 को पैदा हुए विंची ने दुनिया को कई अकल्पनीय सत्यों की रूबरू कराया. विंची जैसी दूसरी शख्सियत आज तक पैदा नहीं हुई.
लियोनार्दो दा विंची शायद मानव इतिहास की अकेली ऐसी शख्सियत है जो वाकई बहुमुखी प्रतिभा थी. विंची पेंटर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, गणितज्ञ, मूर्तिकार, डॉक्टर, आविष्कारक, भूगोल शास्त्री, संगीतकार, लेखक और वनस्पति विज्ञानी थे.
15 अप्रैल 1452 को इटली के विंची पहाड़ों में बसे कस्बे तुस्कान में लियोनार्दो दा विंची का जन्म हुआ. उनके पिता अमीर परिवार से थे. वो जिस महिला से प्यार करते थे वो समाज के निचले माने जाने वाले तबके से आती थीं. जन्म के बाद लियोनार्दो को उनकी मां से छीन लिया गया. कहा गया कि वो विंची परिवार की बहू बनने लायक नहीं है.
लियोनार्दो के पिता की दूसरी महिला से शादी कर दी गई. बचपन में लियोनार्दो ने अपने चाचा के साथ खूब वक्त बिताया. पिता और दादा जहां वकालत के काम काज में व्यस्त थे, वहीं लियोनार्दो अपने चाचा के साथ प्रकृति का आनंद उठाया करते थे. चाचा ने ही बच्चे के भीतर जिज्ञासा भरी. वो झरने के पास ले जाकर लियोनार्दो को बताया करते कि पानी में बुलबुले क्यों उठते हैं, और बाहर से साधारण से दिखते कीड़े के अंदर कितना जटिल तंत्र होता है.
लियोनार्दो जब किशोरावस्था में आए तो उनका परिवार इटली के मिलान शहर आ गया. घरवालों को लगता था कि लियोनार्दो बुद्धू किस्म का बच्चा है. पिता को लगा कि यह जीवन में कुछ नहीं कर पाएगा, इसीलिए लियोनार्दो को एक पेंटर के पास काम सीखने भेज दिया गया. बस वहीं से लियोनार्दो का पेंटर के तौर पर सफर शुरू हुआ. उन्होंने पहली बार अंडे की जगह ऑइल पेटिंग का प्रयोग किया. तभी पेंटर ने उनके महान कलाकार बनने की भविष्यवाणी कर दी.
लेकिन विंची का सफर पेंटिंग पर भी खत्म नहीं हुआ. असल में उनके भीतर की जिज्ञासा हर चीज का हल खोजती. पंछियों को देखकर उन्होंने हवाई जहाज का खाका तैयार कर दिया. विंची ने घोड़ों और इंसानों की हूबहू प्रतिमाएं भी बनाई. उन्होंने बताया कि दिल, यकृत और पेट कैसे काम करता है. विंची ने अद्भुत सुंदरता का समीकरण भी खोज लिया. विंची के मुताबिक हर चीज में एक अनुपातिक संबंध होता है. मसलन इंसान का कान उसके चेहरे का एक तिहाई होता है. चार अंगुलियों की चौड़ाई, हथेली के बराबर होती है. उन्होंने पुरुष के शरीर के आकार के समीकरण हल कर दिये.
वैसे आम तौर पर विंची को मोनालीसा तस्वीर के लिए जाना जाता है. लेकिन यह तो उनकी बहुमुखी प्रतिभा का बस अंश मात्र है. विंची के कई समीकरण तो आज भी अनसुलझे हैं. असल में वो मिरर राइटिंग करते थे, यानी ऐसे लिखते थे कि आम लोगों को उसे पढ़ने के लिए दर्पण की जरूरत पड़ती है.
लेकिन इन तमाम उपलब्धियों के बावजूद दुनिया को लियोनार्दो की निजी जिंदगी के बारे में बहुत ही कम जानकारी है. विंची हमेशा इसे लोगों से छुपा कर रखते थे. उपलब्धियों, मानसिक उलझनों और जिज्ञासा के बीच दो मई 1519 को विंची ने दुनिया को अलविदा कहा. तब से लेकर अब तक करीब 700 साल गुजर चुके हैं लेकिन उनके जैसी दूसरी प्रतिभा पैदा नहीं हुई.
0 comments:
Post a Comment