काश! मिटाकर मतभेदों को,
मुट्ठी सा बंध पाते हम ।
शिक्षक हित की बाधाओं से,
ताकत बन टकराते हम ।
शिक्षक को अपमानित करने,
नयी प्रेरणा आई है ।
मत भूलो अपने ही भाई ,
इसके उत्तरदायी है ।
नेतागिरी के चक्कर में ,
ताकत घटकर क्षीण हो गयी।
श्रोता कोई रहा नहीं, बस,
वक्ताओं की भीड़ हो गई ।
पदलोलुपता में पड़कर ,
बस अहं का पोषण होता है ।
एक नही रह पाते हैं जो ,
उनका शोषण होता है ।
नेता हों या अधिकारी हों,
सब उपहास उड़ाते हैं ।
जब एक मांग ले बारी बारी,
चार संगठन जाते हैं ।
शिक्षक थे चाणक्य जिन्होंने,
अत्याचार मिटाया था ।
राष्टधर्म की पूर्ति के लिए ,
नव साम्राज्य बनाया था ।
इन विभूतियों के वंशज ,
होने का दम हम भरते हैं ।
लेकिन दृढ निश्चय के क्षण में,
क्यों पग डगमग करते हैं ?
शिक्षक हित ही अगर ध्येय है,
एक मंच पर आएं हम ।
दें परिचय शिक्षक होने का ,
खोया गौरव लाएं हम ।
...जागो शिक्षक जागो ✊
मुट्ठी सा बंध पाते हम ।
शिक्षक हित की बाधाओं से,
ताकत बन टकराते हम ।
शिक्षक को अपमानित करने,
नयी प्रेरणा आई है ।
मत भूलो अपने ही भाई ,
इसके उत्तरदायी है ।
नेतागिरी के चक्कर में ,
ताकत घटकर क्षीण हो गयी।
श्रोता कोई रहा नहीं, बस,
वक्ताओं की भीड़ हो गई ।
पदलोलुपता में पड़कर ,
बस अहं का पोषण होता है ।
एक नही रह पाते हैं जो ,
उनका शोषण होता है ।
नेता हों या अधिकारी हों,
सब उपहास उड़ाते हैं ।
जब एक मांग ले बारी बारी,
चार संगठन जाते हैं ।
शिक्षक थे चाणक्य जिन्होंने,
अत्याचार मिटाया था ।
राष्टधर्म की पूर्ति के लिए ,
नव साम्राज्य बनाया था ।
इन विभूतियों के वंशज ,
होने का दम हम भरते हैं ।
लेकिन दृढ निश्चय के क्षण में,
क्यों पग डगमग करते हैं ?
शिक्षक हित ही अगर ध्येय है,
एक मंच पर आएं हम ।
दें परिचय शिक्षक होने का ,
खोया गौरव लाएं हम ।
...जागो शिक्षक जागो ✊
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