० संयुक्त राज्य अमेरिका के वैज्ञानिकों ने दुनिया का पहला ‘जीवित रोबोट’ बनाया है जिसका नाम ‘ज़ेनोबोट्स’ है।
🔰मुख्य बिंदु:
० इस रोबोट का निर्माण नोकदार पंजे वाले अफ्रीकी मेंढक की कोशिकाओं से किया गया है।
० वैज्ञानिकों ने मेंढक के भ्रूण से स्क्रैप की गई जीवित कोशिकाओं को फिर से तैयार किया है और उन्हें पूरी तरह से नया रुप दिया है।
० इस रोबोट का नाम नाइजीरिया एवं सूडान से दक्षिण अफ्रीका तक के उप-सहारा अफ्रीकी क्षेत्र में पाए जाने वाले जलीय मेंढक की प्रजाति ज़ेनोपस लाविस (Xenopus laevis) के नाम पर रखा गया है।
🔰 ज़ेनोपस लाविस (Xenopus laevis):
० ज़ेनोपस अफ्रीकी मेंढकों की एक प्रजाति है जिसे आमतौर पर नोकदार पंजे वाले अफ्रीकी मेंढक के रूप में जाना जाता है।
० ज़ेनोपस की दो प्रजातियाँ (ज़ेनोपस लाविस और ज़ेनोपस ट्रॉपिकलिस) जीव विज्ञानियों द्वारा उपयोग की जाती हैं। ये दोनों प्रजातियाँ पूरी तरह से जलीय हैं और इनको कैद में रखना आसान है।
🔰 ज़ेनोपस एक उपयोगी उपकरण की तरह है क्योंकि-
० ये पूरी तरह से जलीय हैं और इनको प्रयोगशाला में कैद रखना आसान है।
० ये साल भर अंडों का उत्पादन करते हैं।
० इनके अंडे अनुसंधान कार्य के लिये उपयोगी हैं।
० इनका भ्रूण कशेरुकी विकास के लिये एक अच्छा मॉडल है।
० कृषि युग की शुरुआत से ही मानव अपने लाभ के लिये जीव-जंतुओं के साथ छेड़छाड़ करता रहा है और हाल के वर्षों में जीन एडिटिंग द्वारा कुछ कृत्रिम जीवों का निर्माण भी किया गया है।
० अतः इस नवीनतम शोध की सफलता इस बात पर आधारित है कि पहली बार स्क्रैप की गई जीवित कोशिकाओं से जैविक मशीनों (ज़ेनोबोट्स) का निर्माण किया गया है।
🔰 विशेषता:
० ज़ेनोबोट्स पेलोड उठाकर एक लक्ष्य की ओर बढ़ सकते हैं (एक दवा की तरह जो रोगी के अंदर एक विशिष्ट स्थान पर जाने की क्षमता रखती है) और घायल होने पर खुद को ठीक कर सकते हैं।
🔰 अनुप्रयोग:
० इन जीवित रोबोटों के कई अनुप्रयोग हैं जैसे- रेडियोधर्मी संदूषण की खोज करना, महासागरों में माइक्रोप्लास्टिक को इकट्ठा करना आदि।
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