(येनाङ्गविकार:) शरीर के जिस अङ्ग के विकार के द्वारा शरीर के विकार को कहा जा रहा हो उस अङ्गवाची शब्द में तृतीया विभक्ति होती है।
उदाहरण-- नेत्रेण काणः। यहां आंख के विकार के द्वारा पूरे व्यक्ति को काणा कहा जा रहा है अतः नेत्र शब्द में तृतीया विभक्ति हुई।
इसी प्रकार--२) बालिका कर्णेन बधिरा अस्ति ।
बालिका कान से बहरी है।
३) पशुः पादेन खञ्जः अस्ति ।
पशु पैर से लंगड़ा है।
४) सः पाणिना कुण्ठः आसीत् ।
वह हाथ से लुञ्जा था ।
५) अहं मुखेन मूकः न अस्मि ।
मैं मुख से गूंगा नहीं हूं।
६) रामः शिरसा खल्वाटः भविष्यति ।
राम शिर से गंजा होगा ।
७) क्रीडायां शरीरेण वामनाः जनाः सन्ति ।
खेल में शरीर से बौने लोग हैं।
८) शत्रुः नेत्राभ्याम् अन्धः अस्ति ।
शत्रु आंखों से अन्धा है।
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