मुख्य बिंदु:
6 मार्च 2020 को जारी एक सर्वेक्षण के अनुसार, COVID-19 के कारण स्थानीय तथा अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में मांग में कमी से मार्च 2020 में भारतीय सेवा क्षेत्र में भारी गिरावट देखने को मिली है।
मार्च 2020 में ‘द आईएचएस मार्किट इंडिया सर्विसेज़ बिज़नेस एक्टिविटी इंडेक्स’ (The IHS Markit India Services Business Activity Index) अर्थात भारतीय सेवा क्षेत्र के लिये क्रय प्रबंधक सूचकांक 49.3 रहा, जो फरवरी 2020 में 57.5 (लगभग 7 वर्षों में सबसे अधिक) था।
मार्च 2020 के लिये समग्र पीएमआई उत्पादन सूचकांक (The Composite PMI Output Index) गिरकर 50.6 तक पहुँच गया जो फरवरी 2020 में 56.7 दर्ज़ किया गया था, जो हाल के दिनों में निजी क्षेत्र के मज़बूत उर्ध्वगामी विस्तार के विपरीत उत्पादन वृद्धि में मंदी का संकेत देता है।
IHS के एक अर्थशास्त्री के अनुसार, वर्तमान में भारतीय सेवा क्षेत्र पर COVID-19 के प्रभाव को पूर्णरूप से नहीं समझा जा सकता क्योंकि इस सर्वेक्षण में केवल 12-27 मार्च तक के ही आँकड़ों को शामिल किया गया है।
सेवा क्षेत्र में गिरावट के कारण:
भारतीय सेवा क्षेत्र स्थानीय व्यापार के अतिरिक्त बड़ी मात्रा में अन्य देशों से होने वाले व्यापार पर निर्भर करता है।
वर्ष 2017 के आँकड़ों के अनुसार, अमेरिका के 185-190 बिलियन अमेरिकी डॉलर के ग्लोबल सोर्सिंग मार्केट (Global Sourcing Market) में भारत की सॉफ्टवेयर कंपनियों की भागीदारी 55% थी।
अप्रैल 2000 से सितंबर 2019 में भारतीय सेवा क्षेत्र सबसे अधिक विदेशी निवेश (78.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर) प्राप्त करने वाला क्षेत्र रहा।
वर्तमान में COVID-19 के कारण वैश्विक स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधियों में कमी देखी गई है।
सर्वेक्षण के अनुसार, COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिये किये गए कड़े प्रावधानों से सार्वजनिक खर्च में भी कमी आई है।
मांग में कमी के कारण व्यापार में गिरावट को देखते हुए बहुत से संस्थानों को अपने कर्मचारियों की संख्या में भी कमी करनी पड़ी है।
कुछ व्यावसायिक संस्थाओं के अनुसार, व्यावसायिक गतिविधियों में कमी का एक कारण बाज़ार में तरलता की कमी भी है।
क्रय प्रबंधक सूचकांक
(Purchasing Manager's Index- PMI):
क्रय प्रबंधक सूचकांक विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्र में व्यावसायिक गतिविधियों का सूचक है।
इसके तहत विश्व के 40 से अधिक देशों में व्यावसायिक गतिविधियों के मासिक आँकड़े जारी किये जाते हैं।
इस सूचकांक में आँकड़ों को 0 से 100 के बीच दर्शाया जाता है।
जहाँ 50 से अधिक का अर्थ है व्यावसायिक गतिविधि में बीते माह की तुलना में विस्तार/सुधार जबकि आँकड़ों का 50 से कम होना गिरावट को दर्शाता है।
इस सूचकांक में विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्र के लिये आंकड़ों की गणना अलग-अलग की जाती है, जिससे एक समग्र सूचकांक (Composite Index) तैयार किया जाता है।
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