० दैनिक गति- पृथ्वी द्वारा अपनी धुरी पर लगाया गया एक चक्कर जो एक दिन होता है।
० वार्षिक गति- पृथ्वी द्वारा अपनी कक्षा में सूर्य की ओर लगाया गया एक चक्कर जिसमे उसे 365¼ दिन लगते हैं।
० नक्षत्र दिवस- एक मध्यान्ह रेखा के ऊपर किसी निश्चित रेखा के उत्तरोत्तर दो बार गुजरने के बीच की अवधि।
० सौर दिवस- किसी निश्चितमध्यान्ह रेखा के ऊपरमध्यान्ह सूर्य के उत्तरोत्तर दो बार गुजरने के बीच की अवधि।
० उपसौर- पृथ्वी द्वारा अपनी अंडाकार कक्षा में सूर्य की परिक्रमा अवधि के क्रम में सूर्य से सबसे अधिक दूरी की स्थिति जो 4 जुलाई को होती है।
० कर्क संक्रांति- पृथ्वी द्वारा सूर्य के क्रम में 22 दिसम्बर की स्थिति जब सूर्य मकर रेखा पर लम्बवत चमकता है।
० विषुव- 21 मार्च और 23 सितम्बर की स्थितियां जब सूर्य
भूमध्य रेखा पर लम्बवत चमकता है, जिसके कारण दोनों गोलार्द्धों में सर्वत्र दिन-रात बराबर होते हैं। 21 मार्च वाली स्थिति को बसंत विषुव और 23 सितम्बर वाली स्थिति को शरद विषुव की अवस्था कहा जाता है।
० सिजगी- सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी की एक रेखीय स्थिति।
० वियुति- सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा की स्थिति, जिसके कारण चन्द्र ग्रहण होता है।
० युति- सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा की स्थिति, जिसके कारण सूर्य ग्रहण होता है।
० पृथ्वी के घूर्णन के कारण पृथ्वी का प्रत्येक भाग बारी-बारी से सूर्य के सम्मुख आता रहता है, अतः सूर्य के सम्मुख वाले भाग में दिन और पीछे वाले भाग में रात्रि होती है, इस प्रकार दिन-रात का क्रम पृथ्वी की घूर्णन गति का परिणाम है।
० इस प्रकार पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण 24 घंटे की अवधि वाला दिन अस्तित्व में आता है।
० घूर्णन के अक्ष के अधर पर ही अक्षांश एवं देशांतर का निर्धारण किया जाता है।
० इस कारण पृथ्वी पर भौतिक और जैविक दोनों क्रिया प्रभावित होती है।
० कोरिऑलिस बल की उत्पत्ति होती है, जिसके कारण उत्तरी गोलार्द्ध में जल एवं पवनें अपनी दायीं ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में अपने बायीं ओर मुड़ जाते हैं।
० महासागरों में ज्वार-भाटा आता है।
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