Follow Us 👇

Sticky

तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

डॉल्फिन संरक्षण पर एक और बड़ी पहल, साथ आए भारत, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार।।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रोजेक्ट डॉल्फिन का ऐलान किया। विलुप्‍त होती मछलियों की इस प्रजाति के संरक्षण के लिए भारत अकेले नहीं बल्कि अपने पड़ोसी देशों को साथ लेकर चल रहा है। दरअसल भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल के प्रतिनिधियों के बीच एक वेबिनार का आयोजन किया गयाा, जिसमें डॉल्फिन संरक्षण के लिए 'वर्तमान स्थिति और भविष्य की रणनीति' पर चर्चा हुई। 

वेबिनार की शुरुआत आईसीएआर- सीआईएफआरआई के निदेशक डॉ. बीके दास के स्वागत भाषण से हुई, जिन्होंने इस वेबिनार के उद्देश्य और प्रमुख बिंदुओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वेबिनार दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्रीय देशों में डॉल्फिन संरक्षण को बढ़ाने में मदद करेगा। डीडीजी (मत्स्य विज्ञान), आईसीएआर डॉ. जे. के. जेना ने अपने संबोधन में जोर देकर कहा कि कम अशांति और हस्तक्षेप से डॉल्फिन अपने से फल-फूल सकती हैं और यही हमने लॉकडाउन के दौरान देखा है। उन्होंने कहा, 'ये जानवर सीमाएं नहीं समझते हैं और जहां भी संभव हो वहां रहने की कोशिश करते हैं इसीलिए उनका संरक्षण करने में क्षेत्रीय सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है।' 

भारतीय वन्यजीव संस्थान के सेवानिवृत्त प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बीसी चौधरी ने डॉल्फिन पर अब तक किए गए शोध का ऐतिहासिक विवरण सामने रखा। एक्वाटिक इकोसिस्टम हेल्थ ऐंड मैनेजमेंट सोसाइटी कनाडा के डॉ. एम. मुनवर ने अपनी शुभकामनाएं दीं। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने गंगा के कायाकल्प में डॉल्फिन संरक्षण के महत्व को जोड़ते हुए अपने अनुभव साझा दिए। गंगा नदी के कायाकल्प पर काम करते हुए डॉल्फिन संरक्षण को पूरे देश के ध्यान में लाने के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप एमओईएफ के तहत हाल में प्रधानमंत्री द्वारा 'प्रोजेक्ट डॉल्फिन' की घोषणा की गई है। 

यह परियोजना 'प्रोजेक्ट टाइगर' के अनुरूप होगी जिसने बाघों की आबादी बढ़ाने में सफलतापूर्वक मदद की है। हालांकि अब सबसे महत्वपूर्ण बात जिस पर ध्यान देने की जरूरत है कि वैज्ञानिक कोशिश के साथ सामुदायिक भागीदारी भी सुनिश्चित हो। नमामि गंगे ने प्रदूषण उन्मूलन के साथ जैव विविधता और पारिस्थितिक सुधार को महत्व दिया है और सीआईएफआरआई के साथ मत्स्य पालन में सुधार और भारत वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के साथ जैव विविधता संरक्षण के लिए परियोजनाएं शुरू की गई हैं। इस ढांचे के तहत यह अपनी तरह का पहला अवसर है जहां मत्स्य क्षेत्र डॉल्फिन संरक्षण के अभियान की अगुआई कर रहा है। 

सीआईएफआरआई के माध्यम से नमामि गंगे के तहत मत्स्य संरक्षण के प्रयासों से डॉल्फिन के निवास स्थान में ही उसके शिकार का बेस मजबूत होगा, जिससे डॉल्फिन की आबादी में वृद्धि होगी। मछुआरों की आजीविका में सुधार होने से वे भी संरक्षण के प्रयासों में शामिल होते हैं। एक देश से दूसरे देश की सीमा में भी प्रयासों को मजबूती देने और एक क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम तैयार करने के लिए समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। स्थानीय प्रसार और एक स्थान से दूसरे स्थान पर आवाजाही के लिए नॉर्थ ईस्ट की नदियों में छोटे ठिकानों पर विशेष अध्ययन की आवश्यकता है। छात्रों, सामुदायिक जुड़ाव और समग्र जागरूकता में सुधार के लिए डॉल्फिन शिक्षा महत्वपूर्ण है। डॉल्फिन की गणना के लिए पानी के भीतर आधुनिक ध्वनिक विधि का इस्तेमाल किया जाएगा। जैव विविधता के दृष्टिकोण से पर्यावरण-प्रवाह का आकलन और क्रियान्वयन महत्वपूर्ण है।

(हिन्दुस्थान समाचार)

0 comments: