सैंट मिसाइल एंटी टैंक मिसाइलों में सबसे बेहतरीन में से एक मानी जाती है. इसका पहला परीक्षण 2018 में राजस्थान के जैसलमेर के पोखरन फील्ड फायरिंग रेंज में किया गया था.
भारत ने 19 अक्टूबर 2020 को ओडिशा के तट से दूर एंटी-टैंक (सैंट) मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. डीआरडीओ ने इस मिसाइल को भारतीय वायु सेना के लिए विकसित किया है. यह मिसाइल लॉन्च के बाद लॉक-ऑन और लॉन्च से पहले लॉक-ऑन दोनों तरह की क्षमता से लैस होगी.
भारत ने इससे पहले ओडिशा के बालासोर जिले के चांदीपुर अंतरिम परीक्षण परिसर आइटीआर से पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइल का 16 अक्टूबर 2020 को शाम 7:30 बजे सफल परीक्षण किया गया. डीआरडीओ की ओर से विकसित पृथ्वी-2 मिसाइल का परीक्षण चांदीपुर आइटीआर के लॉचिंग कॉम्प्लेक्स 3 से सफलतापूर्वक किया गया.
सैंट मिसाइल: एक नजर में
सैंट मिसाइल एंटी टैंक मिसाइलों में सबसे बेहतरीन में से एक मानी जाती है. इसका पहला परीक्षण 2018 में राजस्थान के जैसलमेर के पोखरन फील्ड फायरिंग रेंज में किया गया था. इसने तब एक डमी ट्रैंक को तहत-नहस कर दिया था. भारत की ये पूर्ण रुप से स्वदेशी मिसाइल है जिसका टेस्ट परीक्षण ओडिसा के एपीजे अब्दुल कलाम आईलैंड पर किया गया था.
मुख्य बिंदु
• पृथ्वी-2 मिसाइल 1000 किलोग्राम तक अस्त्र धोने की ताकत रखती है. यह मिसाइल सतह से सतह पर 500 किलोमीटर की दूरी तक मार करने की ताकत रखती है.
• इस मिसाइल को तरल ईंधन वाले दो इंजन लगाए गए हैं. इसे तरल और ठोस दोनों तरह के ईंधन से संचालित किया जा सकता है.
• यह मिसाइल परंपरागत और परमाणु दोनों तरह के हथियार ले जाने में सक्षम है. 8.56 मीटर लंबी 1.1 मीटर चौड़ी और 4600 किलोग्राम वजन वाली यह मिसाइल 483 सेकेंड तक और 43.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ान भर सकती है.
• यह पहला मौका नहीं है, जब पृथ्वी मिसाइल को रात्रि कालीन परीक्षण किया गया है. इसके पहले कई कई बार पृथ्वी मिसाइल का रात्रि कालीन सफलतापूर्वक प्रायोगिक परीक्षण किया जा चुका है.
दो महीनों में 12 मिसाइलों का परीक्षण
भारत ने पिछले दो महीनों में 12 मिसाइलों का परीक्षण किया है. इसके पहले पिछले हफ्ते ही कई मिसाइलों की टेस्टिंग हुई थी. इसमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, एंटी रेडिएशन मिसाइल रूद्रम-1 और हाइपरसोनिक मिसाइल शौर्य शामिल हैं. एंटी रेडिएशन मिसाइल रूद्रम-1 भारत का प्रथम स्वदेश विकसित एंटी रेडिएशन हथियार है. इसके अतिरिक्त हाइपरसोनिक मिसाइल शौर्य परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम हैं.
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