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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

भारत द्वारा अफगानिस्तान में 80 मिलियन अमरीकी डालर की सामुदायिक विकास परियोजनाओं के चरण - IV का शुभारंभ।।

इन नई विकास पहलों में 150 सामुदायिक परियोजनाएं और काबुल में पानी की आपूर्ति के लिए एक बांध शामिल है.

भारत ने 26 नवंबर, 2020 को अफगानिस्तान के लिए 80 मिलियन डॉलर मूल्य के उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाओं के चरण-IV का शुभारंभ किया है.

इन नई विकास पहलों में 150 सामुदायिक परियोजनाएं और काबुल में पानी की आपूर्ति के लिए एक बांध शामिल है.

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने वर्ष, 2020 के अफगानिस्तान सम्मेलन के दौरान इस बारे में घोषणा की, जो जिनेवा में वीडियो सम्मेलन के माध्यम से आयोजित किया गया था.

मुख्य विशेषताएं

जयशंकर ने काबुल शहर के दो मिलियन निवासियों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अफगानिस्तान के साथ काबुल नदी बेसिन में शहतूत बांध बनाने की भी घोषणा की.

उन्होंने यह बताया कि, भारत ने काबुल शहर को बिजली प्रदान करने के लिए वर्ष, 2009 में 202 किलोमीटर की फुल-ए-खुमरी ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण किया था.

भारत उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास पहल के चरण - IV के तहत 80 मिलियन अमरीकी डालर की नई सामुदायिक विकास परियोजनाओं का भी शुभारंभ करेगा.

अफगानिस्तान में भारत की विकास पहल

विदेश मंत्री ने यह जानकारी भी साझा की है कि, अफगानिस्तान में अबतक भारत के विकास पोर्टफोलियो की राशि 3 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक है.

डॉ. जयशंकर ने आगे यह कहा कि, भारत ने अफगानिस्तान के सभी 34 प्रांतों में अपनी 400 से अधिक विकास परियोजनायें संचालित की हैं और अफगानिस्तान का कोई हिस्सा नहीं छोड़ा है.

अफगानिस्तान के लिए भारत की विकासात्मक सहायता को पांच किस्मों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

ईरान के माध्यम से वैकल्पिक कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए 218 किलोमीटर की डेलारम-ज़ारंज सड़क जैसी बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं.

भारत-अफगानिस्तान मैत्री बांध और संसद भवन.

मानव संसाधन विकास, मानवीय सहायता.

उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक परियोजनायें.

हवाई और भूमि संपर्क के माध्यम से व्यापार और निवेश को बढ़ाना.

जयशंकर ने यह भी कहा कि, 65000 से अधिक अफगान छात्रों ने भी विभिन्न छात्रवृत्ति कार्यक्रमों के तहत भारत में अध्ययन किया है.

अफगानिस्तान का सबसे बड़ा भौगोलिक अवरोध

डॉ. जयशंकर ने वर्ष, 2020 के अफगानिस्तान सम्मेलन के दौरान यह बताया कि, अफगानिस्तान के लिए सबसे बड़ी बाधा इसकी चारों तरफ पहाड़ों और सूखे रेगिस्तान से घिरी भूमि है. उन्होंने आगे कहा कि, चाबहार बंदरगाह ने भी कोविड -19 महामारी के दौरान लगभग 75,000 टन गेहूं और 20 टन से अधिक दवाओं और उपकरणों के परिवहन में मदद की है, भारत अफ़ग़ानिस्तान को इस पोर्ट के माध्यम से संपर्क उपलब्ध करवाने का प्रयास भी कर रहा है.

पृष्ठभूमि

वर्ष 2020 का अफगानिस्तान सम्मेलन जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र, अफगानिस्तान सरकार और फिनलैंड सरकार ने एक-साथ मिलकर आयोजित किया था.

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