राणा कुम्भा।।

1433-1468 ई. राजस्थान की स्थापत्य कला का जनक मेवाड़ के 84 दुर्गो में से 32 दुर्ग बनवाएं। राजनीतिक व सांस्कृतिक दृष्टि कुम्भा का स्थान महत्वपूर्ण है। उन्होंने 1433 में सारंगपुर के युद्ध में मालवा के शासक महमुद खिलजी प्रथम को पराजित किया। इसी विजय के उपलक्ष में 1444 में चित्तौड़ के विजय स्तम्भ का निर्माण करवाया, वर्तमान में विजय स्तम्भ राजस्थान पुलिस का प्रतीक चिन्ह है। इसके वास्तुकार राव जैता थे।

1. विजय स्तम्भ

2. कीर्ति स्तम्भ

3. कुम्भ श्याम मंदिर (मीरा मंदिर)

4. कुंभलगढ दुर्ग (राजसंमद)

5. मचाना दुर्ग (सिरोही)

6. बसंती दुर्ग (सिरोही)

7. अचलगढ़दुर्ग (माऊट आबू)

✅ राणा कुंभा संगीत के विद्वान थे। उन्हे "अभिनव भत्र्ताचार्य" भी कहा जाता हैं कुंभा ने "संगीतराज " "रसिकप्रिय" "नृत्य" "रतन कोष" व "सूढ प्रबंध" ग्रन्थों की रचना की थी। रसिका प्रिया गीत गोविन्द पर टीका है। राणा कुंभा के दरबार में प्रसिद्ध शिल्पकार मण्डन था। जिसने "रूप मण्डन" "प्रसाद मण्डन" "वास्तुमण्डन" व "रूपावतार मण्डन" ग्रन्थों की रचना की। रूपावतार मण्डन (मूर्ति निर्माण प्रकरण), इसमें मूर्ति निर्माण की जानकारी मिलती है। मण्डन के भाई नाथा ने "वस्तुमंजरी" पुस्तक की रचना की। मण्डन के पुत्र गोविन्द ने "उद्धार घौरिणी" "द्वार दीपिक" व कुंभा के दरबारी कवि कान्ह जी व्यास ने "एकलिंग" में ग्रंथ लिखा। 1468 ई. कुंभलगढ़ दुर्ग में राणा कुंभा के पुत्र ऊदा (उदयकरण) ने अपने पिता की हत्या कर दी। उदयकरण को पितृहंता कहा जाता है।

ऊदा (उदयकरण) → रायमल (1509 में देहांत) ↓

पृथ्वी राज सिसोदिया (उडना राजकुमार) - राणासंग्राम सिंह(1509-1528) (हिन्दुपात)(5 मई 1509 में राज्यभिषेक 30 जनवरी 1528 में मृत्यु)

कुंभा के पुत्र रायमल ने ऊदा को मेवाड़ से भगा दिया एवं स्वयं शासक बना। रायमल का बडा पुत्र पृथ्वीराज सिसोदिया तेज धावक था। अतः उसे उडना राजकुमार कहा जाता था। 1509 ई में रायमल का पुत्र संग्राम सिंह मेवाड का शासक बना।

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