संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर दुखद 9/11 हमले के बाद सितंबर, 2001 में UNSC की आतंकवाद विरोधी समिति का गठन किया गया था.
भारत अपने इस तीन साल के कार्यकाल के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के तीन मुख्य सहायक निकायों की अध्यक्षता करने वाला है.
इन निकायों में शामिल हैं - आतंकवाद विरोधी समिति, तालिबान प्रतिबंध समिति और लीबिया प्रतिबंध समिति. इसकी घोषणा भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने 08 जनवरी, 2021 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में की थी.
मुख्य विशेषताएं
• भारत वर्ष, 2022 में UNSC की आतंकवाद विरोधी समिति की अध्यक्षता करने वाला है. भारत न केवल आंतरिक आतंकवाद, विशेष रूप से सीमा पार के आतंकवाद से लड़ने में सबसे आगे रहा है.
• संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर दुखद 9/11 हमले के बाद सितंबर, 2001 में UNSC की आतंकवाद विरोधी समिति का गठन किया गया था.
• भारत ऐसे वर्ष में इस समिति की अध्यक्षता करेगा जब भारत अपनी स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ मनाएगा. भारत ने पिछली बार वर्ष, 2011-12 में इस समिति की अध्यक्षता की थी.
• अफगानिस्तान के शांति, सुरक्षा, विकास और प्रगति के लिए तालिबान प्रतिबंध समिति हमेशा भारत के लिए उच्च प्राथमिकता रही है.
• तिरुमूर्ति ने अपने एक ट्वीट में यह कहा कि, इस समिति की अध्यक्षता करने से भारत को आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों की उपस्थिति पर ध्यान केंद्रित रखने में मदद मिलेगी, जो अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया में रोकने की की धमकी दे रहे हैं.
• लीबिया और उनकी शांति प्रक्रिया पर अंतर्राष्ट्रीय ध्यान केंद्रित करने के लिए भारत लीबिया प्रतिबंध समिति की अध्यक्षता करेगा. इस समिति को वर्ष, 1970 की प्रतिबंध समिति भी कहा जाता है और यह UNSC की एक बहुत ही महत्वपूर्ण सहायक निकाय है.
पृष्ठभूमि
भारत ने 01 जनवरी, 2021 को UNSC के एक गैर-स्थायी सदस्य के तौर पर अपना आठवां कार्यकाल शुरू किया. संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों से 184 मतों का समर्थन प्राप्त करने के बाद भारत को 17 जून, 2020 को UNSC में दो-वर्ष के कार्यकाल के लिए चुना गया. संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय विधानसभा में कुल 192 वैध मतों का मतदान हुआ.
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के वर्ष, 1950-1951, 1967-1968, 1972-1973, 1977-1978, 1984-1985, 1991-1992 और 2011-2012 में एक गैर-स्थायी सदस्य के रूप में पहले सात कार्यकाल पूरे किये हैं. भारत का अंतिम कार्यकाल इससे ठीक एक दशक पहले था.
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