अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडन के नेतृत्व वाले प्रशासन द्वारा हाल में शुरू ‘अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार रोधी चैम्पियंस अवॉर्ड’ के लिए घोषित 12 ‘साहसी’ लोगों में भारत की सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज का नाम भी शामिल है.
अमेरिका ने पारदर्शिता और जवाबदेही के मुद्दों पर काम कर रही सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज को अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार रोधी चैम्पियंस अवॉर्ड (एंटी करप्शन अवार्ड) से सम्मानित किया. अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडन के नेतृत्व वाले प्रशासन द्वारा हाल में शुरू ‘अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार रोधी चैम्पियंस अवॉर्ड’ के लिए घोषित 12 ‘साहसी’ लोगों में भारत की सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज का नाम भी शामिल है.
विदेश विभाग के मुताबिक अंजलि भारद्वाज ने दो दशक से ज्यादा समय से भारत में सूचना के अधिकार आंदोलन में एक सक्रिय सदस्य के रूप में भूमिका निभाई है. भारद्वाज पिछले दो दशकों से सूचना के अधिकार आंदोलन में एक सक्रिय सदस्य की भूमिका में नजर आई हैं. उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते हुए एक जनआंदोलन खड़ा कर रखा है.
अंजलि भारद्वाज ने किया ट्वीट
भारद्वाज ने एक ट्वीट में कहा कि यह सम्मान देश में सत्ता को जिम्मेदार बनाने के लिए काम करने वाले लोगों और समूहों के सामूहिक प्रयास को मान्यता प्रदान करता है. भारद्वाज के अलावा इसमें अल्बानिया के अर्दियन डोरवानी, इक्वाडोर की डियाना सालजार समेत अन्य कई देशों के कार्यकर्ता शामिल हैं.
कौन हैं अंजलि भारद्वाज?
अंजलि भारद्वाज सतर्क नागरिक संगठन (एसएनएस) की संस्थापक हैं. इसके तहत वे सरकार में पारदर्शिता रखने और जवाबदेही तय करने के साथ नागरिकों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य करती हैं. वहीं, वह सूचना के जन अधिकार के राष्ट्रीय अभियान की संयोजक भी हैं.
अंजलि भारद्वाज सूचना का अधिकार, लोकपाल, व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण अधिनियम, शिकायत निवारण और भोजन के अधिकार से संबंधित मुद्दों पर काम करती हैं. उनके प्रयासों में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005, व्हिस्लब्लॉर्स प्रोटेक्शन एक्ट 2011, लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 और शिकायत निवारण विधेयक की ओर काम करना शामिल है.
उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज से बीए किया है. इसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड और दिल्ली स्कूल आफ इकोनामिक्स से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है. वे साल 1999 से ही सूचना के अधिकार के लिए काम कर रही हैं.
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