* भगवान शिव को देवों का देव महादेव कहा जाता है
* भगवान शिव हिंदुओं के 3 प्रमुख देवों में ब्रह्मा, विष्णु, महेश में से महेश के नाम से जाने जाते है
* भगवान शिव का कोई माता पिता नहीं है वह अनादि माने गए हैं मतलब जो हमेशा से था
* भगवान शिव को सृष्टि का विनाश व पापियों का संहार करने वाले देवता माना जाता है
* भगवान शिव ने ही धरती पर जीवन का प्रचार प्रसार किया था
* कथक भरतनाट्यम करते समय शिव की जो मूर्ति रखी जाती है उसे नटराज कहते हैं
* शिवलिंग चाहे जितना भी टूट जाए उसकी पूजा की जाती है
* शिव की पहली पत्नी सती ने ही अगले जन्म में पार्वती के रूप में जन्म लिया और वही उमा, उर्मि, काली कही गई हैं
* शिवरात्रि के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था
* भगवान शिव की एक बहन थी अमावरी जिसे शिव ने पार्वती के जीद्द पर अपनी माया से बनाया था
* शिव और पार्वती का एक ही पुत्र है कार्तिकेय
* शिव के प्रमुख 6 पुत्र हैं- गणेश, कार्तिकेय, सुकेश, जलंधर, अयप्पा और भूमा। सभी के जन्म की कथा रोचक है
* भगवान गणेश को मां पार्वती ने अपनी उबटन से बनाया था
* भगवान शिव ने ही पुत्र गणेश का सिर काटा था
* शिव तांडव करने के लिए 14 बार डमरु बजा था जिससे माहेश्वर सूत्र यानी संस्कृत व्याकरण का आधार प्रकट हुआ
* भगवान शिव पर केतकी का फूल कभी नहीं चढ़ाया जाता
* शिवलिंग पर बिना जल के बेलपत्र नहीं चढ़ाया जाता
* शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता
* शिव के गले में जो सांप लटका रहता है उसका नाम वासुकि है जो शेषनाग के बाद नागों का दूसरा राजा है
* चंद्रमा को भगवान शिव की जटाओं में रहने का वरदान मिला है
* जिस बाघ की खाल भगवान शिव पहनते हैं उस बाघ को उन्होंने खुद अपने हाथों से मारा था
* नंदी भगवान शंकर का वाहन है और सभी गणों में सबसे ऊपर है
* गंगा को धरती पर उतरने से होने वाले विनाश को रोकने के लिए भगवान शिव ने उन्हें अपने जटाओं में बांध लिया था
* समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को पीने के कारण भगवान शिव का शरीर नीला पड़ गया था जिसके कारण इन्हें नीलकंठ का नाम मिला
* भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है इसलिए उनकी तीसरी आंख बंद ही रहे तो बेहतर है
* भगवान शिव एकमात्र देवता है जिनकी 3 आंखें हैं इसलिए इन्हें त्रिनेत्रधारी भी कहते हैं यह तभी खुलता है जब वह क्रोध में होते हैं
* माना जाता है कि शिव श्मशान के निवासी हैं
* भगवान शिव को भांग धतूरा मुख्य रूप से चढ़ाया जाता है
* भगवान शिव का सबसे महत्वपूर्ण नृत्य 'तांडव' है जिसे मौत का नृत्य कहा जाता है
* भगवान शिव के अस्त्र है - त्रिशूल, पाशुपत अस्त्र, पिनाक नामक धनुष, भवरेंदु नामक चक्र आदि
* शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं
* शिव को गुरुओं का गुरु माना जाता है
* भगवान शिव अपने शरीर पर भस्म लगाते है अगर भस्म को शरीर पर लगाया जाए तो इससे सर्दी में सर्दी और गर्मी में गर्मी नही लगती है
* शिव के 7 शिष्य हैं- बृहस्पति, विशालाक्ष, शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज इसके अलावा 8वें गौरशिरस मुनि भी थे
* शिव के गणों में भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, जय और विजय प्रमुख हैं इसके अलावा, पिशाच, दैत्य और नाग-नागिन, पशुओं को भी शिव का गण माना जाता है
* भगवान सूर्य, गणपति, देवी, रुद्र और विष्णु ये शिव पंचायत कहलाते हैं
* नंदी, स्कंद, रिटी, वृषभ, भृंगी, गणेश, उमा-महेश्वर और महाकाल भगवान शिव के द्वारपाल हैं
* जिस तरह जय और विजय विष्णु के पार्षद हैं उसी तरह बाण, रावण, चंड, नंदी, भृंगी आदि शिव के पार्षद हैं
* शिव की वेशभूषा ऐसी है कि प्रत्येक धर्म के लोग उनमें अपने प्रतीक ढूंढ सकते हैं। मुशरिक, यजीदी, साबिईन, सुबी, इब्राहीमी धर्मों में शिव के होने की छाप स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है
* शिव के शिष्यों से एक ऐसी परंपरा की शुरुआत हुई, जो आगे चलकर शैव, सिद्ध, नाथ, दिगंबर और सूफी संप्रदाय में विभक्त हो गई
* बौद्ध साहित्य के मर्मज्ञ अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विद्वान प्रोफेसर उपासक का मानना है कि शंकर ने ही बुद्ध के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने पालि ग्रंथों में वर्णित 27 बुद्धों का उल्लेख करते हुए बताया कि इनमें बुद्ध के 3 नाम अतिप्राचीन हैं- तणंकर, शणंकर और मेघंकर
* भगवान शिव को देवों के साथ असुर, दानव, राक्षस, पिशाच, गंधर्व, यक्ष आदि सभी पूजते हैं वे रावण को भी वरदान देते हैं और राम को भी उन्होंने भस्मासुर, शुक्राचार्य आदि कई असुरों को वरदान दिया था
* शिव, सभी आदिवासी, वनवासी जाति, वर्ण, धर्म और समाज के सर्वोच्च देवता हैं
* वनवासी से लेकर सभी साधारण व्यक्ति जिस चिह्न की पूजा कर सकें, उस पत्थर के ढेले, बटिया को शिव का चिह्न माना जाता है इसके अलावा रुद्राक्ष और त्रिशूल को भी शिव का चिह्न माना गया है
* कुछ लोग डमरू और अर्द्ध चन्द्र को भी शिव का चिह्न मानते हैं, हालांकि ज्यादातर लोग शिवलिंग अर्थात शिव की ज्योति का पूजन करते हैं
* शिव ने भस्मासुर से बचने के लिए एक पहाड़ी में अपने त्रिशूल से एक गुफा बनाई और वे फिर उसी गुफा में छिप गए वह गुफा जम्मू से 150 किलोमीटर दूर त्रिकूटा की पहाड़ियों पर है
* भगवान शिव ने जहां पार्वती को अमृत ज्ञान दिया था वह गुफा 'अमरनाथ गुफा' के नाम से प्रसिद्ध है
* श्रीलंका में रतन द्वीप पहाड़ की चोटी पर स्थित श्रीपद नामक मंदिर में शिव के पैरों के निशान हैं ये पदचिह्न 5 फुट 7 इंच लंबे और 2 फुट 6 इंच चौड़े हैं इस स्थान को सिवानोलीपदम कहते हैं
* वीरभद्र, पिप्पलाद, नंदी, भैरव, महेश, अश्वत्थामा, शरभावतार, गृहपति, दुर्वासा, हनुमान, वृषभ, यतिनाथ, कृष्णदर्शन, अवधूत, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, किरात, सुनटनर्तक, ब्रह्मचारी, यक्ष, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, हंसरूप, द्विज, नतेश्वर आदि भगवान शिव के ही अवतार हैं
* वेदों में रुद्रों का जिक्र है रुद्र 11 बताए जाते हैं- कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, आपिर्बुध्य, शंभू, चण्ड तथा भव
* ब्रह्मा, विष्णु और सभी देवी-देवताओं सहित भगवान राम और कृष्ण भी शिव भक्त है
* दो ही शिव के मंत्र हैं पहला- ॐ नम: शिवाय। दूसरा महामृत्युंजय मंत्र- ॐ ह्रौं जू सः। ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जू ह्रौं ॐ ॥ है।
* सोमवार, प्रदोष और श्रावण मास में शिव व्रत रखे जाते हैं
* शिवरात्रि और महाशिवरात्रि शिव का प्रमुख पर्व त्योहार है
* दसनामी, शाक्त, सिद्ध, दिगंबर, नाथ, लिंगायत, तमिल शैव, कालमुख शैव, कश्मीरी शैव, वीरशैव, नाग, लकुलीश, पाशुपत, कापालिक, कालदमन और महेश्वर सभी शैव परंपरा से हैं। चंद्रवंशी, सूर्यवंशी, अग्निवंशी और नागवंशी भी शिव की परंपरा से ही माने जाते हैं
* शिव के वैसे तो अनेक नाम हैं जिनमें 108 नामों का उल्लेख पुराणों में मिलता है
* वेद और उपनिषद सहित विज्ञान भैरव तंत्र, शिव पुराण और शिव संहिता में शिव की संपूर्ण शिक्षा और दीक्षा समाई हुई है
* शिवपुराण के अनुसार ब्रह्म, माया, जीव, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी को ज्योतिर्लिंग या ज्योति पिंड कहा गया है
* सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ॐकारेश्वर, वैद्यनाथ, भीमशंकर, रामेश्वर, नागेश्वर, विश्वनाथजी, त्र्यम्बकेश्वर, केदारनाथ, घृष्णेश्वर शिव के 12 ज्योतिर्लिंग है
* शिव का नाम शंकर के साथ जोड़ा जाता है लोग कहते हैं– शिव, शंकर, भोलेनाथ। इस तरह अनजाने ही कई लोग शिव और शंकर को एक ही सत्ता के दो नाम बताते हैं। असल में, दोनों की प्रतिमाएं अलग-अलग आकृति की हैं शंकर को हमेशा तपस्वी रूप में दिखाया जाता है
* भगवान शिव ने हर काल में लोगों को दर्शन दिए हैं
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