ऐसाा जाता है कि हनुमान नाटक नाम का जो ग्रंथ है इसको ख़ुद महा विधवान श्री हनुमान जी ने लिखा था। फिर हनुमान जी को लगा कि किसी को यह ना लगे कि हनुमान ने अहंकार वश स्वयं ही यह लिखा है तो उन्होंने इसे समुंद्र में प्रवाहित कर दिया। फिर 1055 AD दे दौरान #King_Bhoj (राजा भोज) के एक गोताखोर को इस ग्रंथ की एक शीला उस समय हाथ लगी जब वो मोती निकालने समुंद्र में गोते लगा रहे थे।फिर राजा भोज के हुक्म से यह शीलाएँ ढूँढ़वाई गई लेकिन पूरी शीलाएँ नही मिली।फिर उनके दरबार के एक कवि Damodar Missar ने काफ़ी हद तक इस ग्रंथ को पूरा किया। उसके बाद #Bhai_Gurdass जी के रिश्तेदार #Hirday_Ram_Bhalla (#Guru_Arjan_Dev जी की #Wife #Ganga_Devi जी के भाई) जो की #Akbar के पास poet थे उन्होंने #Jahangir के समय 1623 में Hanuman Natak को पूर्ण किया और उसका अनुवाद संस्कृत से हिंदी में भी किया। HirdayRam जी को जहांगीर ने मार दिया। उसके बाद #Bahadur_Shah की दोस्ती जब #Guru_Gobind_Singh जी से हुई तो Bahadur Shah ने दसवे गुरु की सनातन धर्म में आस्था और भक्ति को देखते हुए #Orignal Hanuman Natak जो Hriday Ram Bhalla जी ने लिखा था उन्हें भेंट(Gift) किया।
hanuman natak granth, हनुमान नाटक
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