हर साल 23 मई को विश्व कछुआ दिवस (World Turtle Day) के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य कछुओं और दुनिया भर में उनके तेजी से गायब होते आवासों की रक्षा करना है। यह दिवस 2000 में American Tortoise Rescue द्वारा शुरू किया गया था। तब से यह दिवस दुनिया के सबसे पुराने जीवित सरीसृपों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल मनाया जाता है।
भारत में खतरे
तस्करी
भारत में कछुओं के सामने सबसे बड़ा खतरा तस्करी है। उन्हें हर साल बड़ी संख्या में पूर्वी एशियाई और दक्षिण पूर्व एशियाई बाजारों में तस्करी कर लाया जाता है। इन देशों में इनकी तस्करी की जाती है। जीवित नमूनों के अलावा, समुद्री कछुए के अंडों को खोदा जाता है और दक्षिण एशियाई देशों में व्यंजनों के रूप में बेचा जाता है। पश्चिम बंगाल राज्य कछुओं की तस्करी के केंद्र बिंदु के रूप में उभरा है। सरकार के प्रयासों के बावजूद, भारत में कछुए की तस्करी एक आकर्षक व्यवसाय के रूप में बनी हुई है।
अन्य खतरे
कई मानव निर्मित मुद्दों से कछुओं को भी खतरा है। प्रमुख खतरों में से एक आवास विनाश है। गंगा और देश की अन्य प्रमुख नदियों में पाए जाने वाले कछुए आवास विनाश का सामना कर रहे हैं क्योंकि ये नदियाँ तेजी से प्रदूषित हो रही हैं। समुद्री कछुए भी समुद्र और समुद्र तटों के प्रदूषण से पीड़ित हैं। प्लास्टिक खाकर हर साल कई कछुए मर रहे हैं।
0 comments:
Post a Comment