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1857 का विद्रोह उत्तरी और मध्य भारत में ब्रिटिश अधिग्रहण के विरुद्ध उभरे सैन्य असंतोष व जन-विद्रोह का परिणाम था| आइये इस लेख के माध्यम से 1857 के विद्रोह के बारे में अध्ययन करते हैं.
इस विद्रोह के – सामाजिक और धार्मिक, आर्थिक,सैन्य और राजनीतिक –चार मुख्य कारण थे|
सन1857 का विद्रोह उत्तरी और मध्य भारत में ब्रिटिश अधिग्रहण के विरुद्ध उभरे सैन्य असंतोष व जन-विद्रोह का परिणाम था| सैन्य असंतोष की घटनाएँ जैसे- छावनी क्षेत्र में आगजनी आदि जनवरी से ही प्रारंभ हो गयी थीं लेकिन बाद में मई में इन छिटपुट घटनाओं ने सम्बंधित क्षेत्र में एक व्यापक आन्दोलन या विद्रोह का रूप ले लिया|
इस विद्रोह ने भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया के शासन को समाप्त कर दिया और अगले 90 वर्षों के लिए भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश भाग को ब्रिटिश सरकार (ब्रिटिश राज) के प्रत्यक्ष शासन के अधीन लाने का रास्ता तैयार कर दिया|
विद्रोह के कारण
चर्बीयुक्त कारतूसों के प्रयोग और सैनिकों से सम्बंधित मुद्दों को इस विद्रोह का मुख्य कारण माना गया लेकिन वर्त्तमान शोध द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि कारतूसों का प्रयोग न तो विद्रोह का एकमात्र कारण था और न ही मुख्य कारण | वास्तव में यह विद्रोह सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक-धार्मिक आदि अनेक कारणों का सम्मिलित परिणाम था|
• सामजिक और धार्मिक कारण: ब्रिटिशों ने भारतीयों के सामजिक-धार्मिक जीवन में दखल न देने की नीति से हटकर सती-प्रथा उन्मूलन (1829) और हिन्दू-विधवा पुनर्विवाह(1856) जैसे अधिनियम पारित किये | ईसाई मिशनरियों को भारत में प्रवेश करने और धर्म प्रचार करने की अनुमति प्रदान कर दी गयी|1950 ई. के धार्मिक निर्योग्यता अधिनियम के द्वारा हिन्दुओं के परंपरागत कानूनों में संशोधन किया गया |इस अधिनियम के अनुसार धर्म परिवर्तन करने के कारण किसी भी पुत्र को उसके पिता की संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकेगा|
• आर्थिक कारण: ब्रिटिश शासन ने ग्रामीण आत्मनिर्भरता को समाप्त कर दिया | कृषि के वाणिज्यीकरण ने कृषक-वर्ग पर बोझ को बढ़ा दिया| इसके अलावा मुक्त व्यापार नीति को अपनाने,उद्योगों की स्थापना को हतोत्साहित करने और धन के बहिर्गमन आदि कारकों ने अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से नष्ट कर दिया|
• सैन्य कारण: भारत में ब्रिटिश उपनिवेश के विस्तार ने सिपाहियों की नौकरी की परिस्थितियों को बुरी तरह से प्रभावित किया |उन्हें बगैर किसी अतिरिक्त भत्ते के भुगतान के अपने घरों से दूर नियुक्तियां प्रदान की जाती थीं|सैन्य असंतोष का महत्वपूर्ण कारण जनरल सर्विस एन्लिस्टमेंट एक्ट ,1856 था,जिसके द्वारा सिपाहियों को आवश्यकता पड़ने पर समुद्र पार करने को अनिवार्य बना दिया गया | 1954 के डाक कार्यालय अधिनियम द्वारा सिपाहियों को मिलने वाली मुफ्त डाक सुविधा भी वापस ले ली गयी|
• राजनीतिक कारण: भारत में ब्रिटिश क्षेत्र का अंतिम रूप से विस्तार डलहौजी के शासन काल में हुआ था| डलहौजी ने 1849 ई. में घोषणा की कि बहादुरशाह द्वितीय के उत्तराधिकारियों को लाल किला छोड़ना होगा| बाघट और उदयपुर के सम्मिलन को किसी भी तरह से रद्द कर दिया गया और वे अपने शासक-घरानों के अधीन बने रहे| जब डलहौजी ने करौली (राजस्थान) पर व्यपगत के सिद्धांत को लागू करने की कोशिश की तो उसके निर्णय को कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स द्वारा निरस्त कर दिया गया|
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