1. लज्जा (1929)
इसमें पूर्व में ‘घृणामयी’ शीर्षक से प्रकाशित लज्जा’ में लज्जा नामक आधुनिका, शिक्षित नारी की काम भावना का वर्णन किया गया है ।
2.सन्यासी(1941)
इस उपन्यास में नायक नंदकिशोर के अहम भाव एवं कालांतर में अहम भाव का उन्नयन दिखाया गया है ।
3.पर्दे की रानी(1941)
इस उपन्यास में खूनी पिता और वेश्या पुत्री नायिका निरंजना की समाज के प्रति घृणा और प्रतिहिंसा भाव की अभिव्यक्ति गई है ।
4.प्रेत और छाया(1946)
इसमें नायक पारसनाथ की हीन भावना एवं स्त्री जाति के प्रति घृणा का भाव दिखाया गया है ।
5.निर्वासित(1948)
इस उपन्यास में महीप नामक प्रेमी की भावुकता निराशावादिता का एवं दुखद अंत को कहानी के माध्यम से चित्रण किया गया है
6. मुक्तिपथ(1950)
इसमें कथानायक राजीव और विधवा सुनंदा की प्रेमकथा सामाजिक कटाक्ष के कारण शरणार्थी बस्ती में जाना ,राजीव का सामाजिक कार्य में व्यस्तता और सुनंदा की उपेक्षा के फलस्वरुप सुनंदा की वापसी को दिखाया गया है
7.जिप्सी(1952)
इस उपन्यास में जिप्सी बालिका मनिया की कुंठा और अंत में कुंठा का उदात्तीकरण दर्शाया गया है
8. सुबह के भूले(1952)
गुलबिया नामक एक साधारण किसान पुत्र की अभिनेत्री बनने एवं वहां के कृत्रिम जीवन से उठकर पुनः ग्रामीण परिवेश में लौटने की कथा का वर्णन किया गया है
9. जहाज का पंछी(1955)
इस उपन्यास में कथानायक शिक्षित नवयुवक का कोलकाता में नगर रूपी जहाज में ज्योतिषी, ट्यूटर ,धोबी के मुनीम ,रसोइए ,चकले ,लीला के सेवक इत्यादि के रूप में विविध जीवन स्थितियों एवं संघर्षों का वर्णन किया गया है
10.ऋतुचक्र(1969)
इसमें आधुनिक दबावों के फल स्वरुप परंपरागत मूल्यों, मान्यताओं ,आदर्शों के तेजी से ढहने एवं उनके स्थान पर नए मूल्यों आदर्शों के निर्माण न होने की कथा का वर्णन किया गया है उपन्यास में खूनी पिता और वेश्या पुत्री नायिका निरंजना की समाज के प्रति घृणा और प्रतिहिंसा भाव की अभिव्यक्ति गई है।
11. भूत का भविष्य (1973)
12. कवि की प्रेयसी (1976)
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