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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

गणित में शून्य सम संख्या है या विषम, दुनिया में इस पर मतभेद क्यों है ।।

गणित में सम संख्या और विषम संख्या का बड़ा महत्व है। इसी प्रकार गणित में 0 (ZERO-शून्य) का भी बहुत महत्व है। हम गर्व के साथ कहते हैं कि 0 (ZERO-शून्य) भारत की देन है परंतु शून्य की पहचान और वर्गीकरण को लेकर आज भी सारी दुनिया में मतभेद हैं। लोग विभिन्न तर्कों के माध्यम से अपनी मान्यता को सही प्रमाणित करते हैं। आइए जानते हैं कि गणित में 0 सम संख्या है या विषम।

📌0 (ZERO-शून्य) एक सम संख्या है👉🏻
कई विद्वानों का दावा है कि 0 एक सम संख्या है क्योंकि शून्य में समता-पूर्णांक का गुणधर्म उपस्थित है। यदि हम सभी अंकों को एक क्रम (0,1,2,3,4,5,6....) में लिखते हैं तो पाते हैं कि प्रत्येक विषम संख्या के बाद एक सम संख्या आती है। या फिर प्रत्येक सम संख्या के बाद एक विषम संख्या आती है। यानी कि सम और विषम संख्या एक साथ नहीं होती हैं। दो विषम संख्याएं एक साथ नहीं होती और दो सम संख्याएं एक साथ नहीं होती। इस हिसाब से यदि संख्याओं का सर्किल बनाया जाए तो 0 संख्या, 9 एवं 1 के बीच में आती है। इस हिसाब से 0 एक सम संख्या है। 

📌0 सम संख्या नहीं है👉🏻
शून्य के विषम संख्या होने का दावा कोई नहीं करता परंतु यह दावा जरूर किया जाता है कि 0 (ZERO-शून्य) सम संख्या नहीं है। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि जब प्रश्न उपस्थित होता है की सबसे छोटी सम संख्या कौन सी है तो सभी विशेषज्ञ एकमत से बताते हैं कि सबसे छोटी सम संख्या 2 है। यानी की सबसे पहली सम संख्या भी 2 ही हुई। अतः गणित में संख्या की श्रंखला का प्रारंभ विषम संख्या (1) से होता है और अंत भी विषम संख्या 9 पर होता है। 

📌0 (ZERO-शून्य) संख्या या कुछ और?👉🏻
यह काफी महत्वपूर्ण प्रश्न है। जब भी संख्याओं की बात होती है तो ज्यादातर प्राचीन ग्रंथों में 1 से लेकर 9 तक की संख्या की बात होती है। 0 को संख्याओं के क्रम में तो लिखा जाता है परंतु संख्या का दर्जा नहीं दिया जाता। रोमन अंकों में 0 प्रदर्शित नहीं किया जाता जबकि 10 और इसके गुणांक में सभी संख्याएं प्रदर्शित की जाती है। इस हिसाब से माना जाए तो 0 संख्या ना तो सम है और ना ही विषम। शून्य तो संख्याओं का प्रारंभ है और संख्याओं का अंत भी। जैसे ताश के खेल में जोकर का उपयोग कहीं भी किया जा सकता है ठीक उसी प्रकार गणित में 0 का उपयोग कहीं भी किया जा सकता है। यह किसी भी संख्या को ताकतवर बना सकता है और उसे समाप्त कर सकता है। यदि धार्मिक मान्यताओं पर विश्वास करें तो 0 ही शिव हैं। सृष्टि का सृजन और अंत भी।

हालांकि गणित विषय के ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि 0 एक सम संख्या है।

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