Follow Us 👇

Blood Circulation ( परिसंचरण तंत्र )।।

परिसंचरण तंत्र संबंधित प्रश्नोत्तरी ।। 1. कौन सा ‘जीवन नदी’ के रूप में जाना जाता है? उत्तर: रक्त 2. रक्त परिसंचरण की खोज की गई? ...

नासा ने आकाशगंगा क्लस्टर एबेल 370 की छवि की साझा।।


एबेल 370 आकाशगंगा क्लस्टर पृथ्वी से 4.9 बिलियन प्रकाश वर्ष दूर तारामंडल सेटस में स्थित है.

नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने 19 जनवरी, 2021 को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर विशाल आकाशगंगा क्लस्टर - एबेल 370 की एक आश्चर्यजनक तस्वीर साझा की थी. यह तस्वीर अपने आप में पहली है, क्योंकि यह आकाशगंगाओं के एक विशाल समूह को दिखाती है.

नासा के हबल स्पेस टेलीस्कोप ने अपने ट्विटर और इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट के साथ एक छवि साझा की है जिसमें लिखा था, "यह प्रकाश और लकीरें इस आकाशगंगा एबेल 370 की हबल क्लासिक छवि को कवर करती हैं."

एबेल 370 आकाशगंगा क्लस्टर पृथ्वी से 4.9 बिलियन प्रकाश वर्ष दूर तारामंडल सेटस में स्थित है.

एबेल 370 छवि: विस्तार विवरण

• नासा ने यह बताया कि, इस छवि में दिखने वाले अजीब आकार उन आकाशगंगाओं के विकृत रूप हैं जो क्लस्टर का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन इसके आगे स्थित हैं. ये दूर की आकाशगंगायें इस आकाशगंगा समूह के अपार गुरुत्वाकर्षण के कारण विकृत दिखती हैं.
• अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत के अनुसार, गुरुत्वाकर्षण न केवल भौतिक वस्तुओं के रूप को ही, बल्कि प्रकाश के रूप को भी बदल सकता है. इसके द्वारा, दूर की आकाशगंगा से जो प्रकाश एबेल 370 आकाशगंगा क्लस्टर के माध्यम से, हमारी ओर यात्रा करता है, एबेल क्लस्टर का गुरुत्वाकर्षण बल इस प्रकाश को झुकता है और लेंस की तरह दूर की इन आकाशगंगाओं की रोशनी को बढ़ाता है. इसे गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग कहा जाता है. 
• एबेल 370 उन पहले आकाशगंगा समूहों में से एक है जिसने गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग के प्रभावों को दिखाया है.
• सर्वेक्षण के लिए इस विशेष छवि को हबल के उन्नत कैमरा द्वारा लिया गया है. यह जमीन पर मौजूद दूरबीनों की तुलना में, एबेल 370 में बिखरी हुई कई लकीरों और चापों/ वक्रों को कहीं अधिक विस्तार से उजागर करता है.

एबेल 370 के बारे में

एबेल 370 आकाशगंगा क्लस्टर में सैकड़ों आकाशगंगाओं का घर होने की सूचना मिली है. इसका नाम जॉर्ज एबेल के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने इस आकाशगंगा को सूचीबद्ध किया था.

प्रत्येक आकाशगंगा में इतना अधिक द्रव्यमान होता है कि वह अपने चारों ओर के अंतरिक्ष को प्रभावित करता है, जो उसके पीछे स्थित ब्रह्मांडीय वस्तुओं से आने वाली रोशनी को बढ़ाता और झुकता है.

0 comments:

Post a Comment

Thank You For messaging Us we will get you back Shortly!!!