अपने अंदर के रावण को मार कर मनाये विजयादशमी

खड़ा हो गया फिर से आज सरेआम बाजार में,
जलता हूँ हर साल मैं किसी राम के इंतजार में ।।
नौ दिन के धार्मिक वातावण के बाद आज मैं जल जाऊंगा,
कल फिर टूटेंगी जंजीरे वहशियों की, कल फिर से निगाहें कपड़े के आर पार होंगी ।।
अपने अंदर के किसी एक रावण का वध आप भी करें ।
        

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