कर्मण्येवाधिकारस्ते

"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन"

"हाथ खाली हो, मगर हाथ उठाए रखिए,
लाख दलदल हो, मगर पैर जमाये रखिए,
कौन कहता है, पानी रुकता नहीं चलनी में,
बर्फ जमने तक आस लगाए रखिए।"


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