अभी तो तुम्हे और ' जलील ' होना है और झेलना है .....
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क्या लगा था सिविल सर्विस इतना सरल है , आकर्षक है , रुतबा और सत्ता का सोर्स है , दुनिया मे छा जाने का रास्ता है .......
अभी तो तुमको बहुत झेलना है अपनी प्रेयसी को बेरोजगार होने के कारण बिछड़ते हुए देखना है ..मम्मी पापा के सपनो को हर एग्जाम के बाद टूटते देखना है .....खुद की उम्मीदों और सपने को दूर जाते देखना है ,,,,,मन करेगा लौट जाऊ वापस ,चला जाऊ शांति की तलाश में कही ,,,,पर असफल व्यक्ति के पास समझाने के लिए ,कहने के लिए बहुत कुछ होता है पर उसकी कोई सुनना नही चाहता .....खुद के बनाये आवरण में कैद होना है और ....
अभी तो तुम्हें रोज पल पल टूटना है ,कमरे में बंद होकर खुद के आंसू खुद ही पोछना है ,हर किसी की पैनी और नजरअंदाज करने वाली नजर से ' जलील ' होना है ...
प्रारम्भिक परीक्षा निकलने से उत्साहित होना है और नही qualify होने से असफल बहानों को अलग अलग लोगो के पास अलग अलग तरीके से पेश करके खुद में तिष्कृत होना है .....
मुख्य परीक्षा नही निकलने से एक बुद्धिजीवी का बना हुआ आवरण का टूटना है जो कुछ महीने स्पेशल थे (मुख्य परीक्षा देने के कारण ) , अब बराबरी पर आकर खड़े हो जाना है और अनुभव का झुनझुना पकड़ लेना है...
इंटरवयू का पड़ाव ख़ुशी में बेतहासा वृद्धि तो कर देगा पर वहां की असफलता झकझोर कर रख देगी ...खुद की गलतियां दुसरो से ढूंढवाते फिरोगे ....कई बार विश्वास ही नही होगा selction लिस्ट के मापदण्डो पर और अचानक cool बुद्धिजीवी से आक्रमक अभ्यर्थी बन जाओगे ----
कुंठाये भी होगी , गुस्सा भी होगा ,भीतर की आक्रमकता और बाहरी तौर के परिपक्वता का द्वंद चलता रहेगा ,,,रोज खुद से लड़ोगे ,रोज खुद को समझाओगे ,रोज खुद में तडपोगे .....
और उस दिन की तलाश में जब selction लिस्ट में तुम्हारा नाम होगा , पापा को तुम पर गर्व होगा , मोहल्ले और अपने क्षेत्र के आदर्श बन जाओगे , नाम के साथ ' सरकारी ' शब्द जुड़ जाएगा पर उस दिन को पाने के लिए ...........
अभी तो तुम्हे और 'जलील ' होना है और झेलना है ..... ~
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क्या लगा था सिविल सर्विस इतना सरल है , आकर्षक है , रुतबा और सत्ता का सोर्स है , दुनिया मे छा जाने का रास्ता है .......
अभी तो तुमको बहुत झेलना है अपनी प्रेयसी को बेरोजगार होने के कारण बिछड़ते हुए देखना है ..मम्मी पापा के सपनो को हर एग्जाम के बाद टूटते देखना है .....खुद की उम्मीदों और सपने को दूर जाते देखना है ,,,,,मन करेगा लौट जाऊ वापस ,चला जाऊ शांति की तलाश में कही ,,,,पर असफल व्यक्ति के पास समझाने के लिए ,कहने के लिए बहुत कुछ होता है पर उसकी कोई सुनना नही चाहता .....खुद के बनाये आवरण में कैद होना है और ....
अभी तो तुम्हें रोज पल पल टूटना है ,कमरे में बंद होकर खुद के आंसू खुद ही पोछना है ,हर किसी की पैनी और नजरअंदाज करने वाली नजर से ' जलील ' होना है ...
प्रारम्भिक परीक्षा निकलने से उत्साहित होना है और नही qualify होने से असफल बहानों को अलग अलग लोगो के पास अलग अलग तरीके से पेश करके खुद में तिष्कृत होना है .....
मुख्य परीक्षा नही निकलने से एक बुद्धिजीवी का बना हुआ आवरण का टूटना है जो कुछ महीने स्पेशल थे (मुख्य परीक्षा देने के कारण ) , अब बराबरी पर आकर खड़े हो जाना है और अनुभव का झुनझुना पकड़ लेना है...
इंटरवयू का पड़ाव ख़ुशी में बेतहासा वृद्धि तो कर देगा पर वहां की असफलता झकझोर कर रख देगी ...खुद की गलतियां दुसरो से ढूंढवाते फिरोगे ....कई बार विश्वास ही नही होगा selction लिस्ट के मापदण्डो पर और अचानक cool बुद्धिजीवी से आक्रमक अभ्यर्थी बन जाओगे ----
कुंठाये भी होगी , गुस्सा भी होगा ,भीतर की आक्रमकता और बाहरी तौर के परिपक्वता का द्वंद चलता रहेगा ,,,रोज खुद से लड़ोगे ,रोज खुद को समझाओगे ,रोज खुद में तडपोगे .....
और उस दिन की तलाश में जब selction लिस्ट में तुम्हारा नाम होगा , पापा को तुम पर गर्व होगा , मोहल्ले और अपने क्षेत्र के आदर्श बन जाओगे , नाम के साथ ' सरकारी ' शब्द जुड़ जाएगा पर उस दिन को पाने के लिए ...........
अभी तो तुम्हे और 'जलील ' होना है और झेलना है ..... ~
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