एक स्त्री के योनि से जन्म लेने के बाद उसके वक्षस्थल से निकले दूध से अपनी भूख,प्यास मिटाने वाला इंसान बड़ा होते ही औरत से इन्हीं दो अंगो की चाहत रखता है,
और अगर असफल होता है,
तो इसी चाहत में वीभत्स तरीको को अंजाम देता है...!
बलात्कार और फिर हत्या...!
जननी वर्ग के साथ इस तरह की मानसिकता क्यूँ...?
वध होना चाहिए ऐसी दूषित मानसिकता के लोगों का.....
मेरे दूध का कर्ज़ मेरे ही खून से चुकाते हो
कुछ इस तरह तुम अपना पौरुष दिखाते हो
दूध पीकर मेरा तुम इस दूध को ही लजाते हो
वाह रे पौरुष तेरा तुम खुद को पुरुष कहाते हो
हर वक्त मेरे सीने पर नज़र तुम जमाते हो
इस सीने में छुपी ममता क्यों देख नहीं पाते हो
इक औरत ने जन्मा ,पाला -पोसा है तुम्हें
बड़े होकर ये बात क्यों भूल जाते हो
तेरे हर एक आँसू पर हज़ार खुशियाँ कुर्बान कर देती हूँ मैं
क्यों तुम मेरे हजार आँसू भी नहीं देख पाते हो
हवस की खातिर आदमी होकर क्यों नर पिशाच बन जाते हो
हमें मर्यादा सिखाने वालों तुम अपनी मर्यादा क्यों भूल जाते हो
हमें मर्यादा सिखाने वालों तुम अपनी मर्यादा क्यों भूल जाते हो...!

0 comments:
Post a Comment
Thank You For messaging Us we will get you back Shortly!!!