🅾जम्मू-कश्मीर दो अलग-अलग केंद्र शासित राज्यों जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के रूप में 31 अक्टूबर को अस्तित्व में आएगा।...
🛑राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। गुरुवार (31 अक्टूबर) की सुबह उम्मीदों का नया सूरज लेकर आएगी और 70 वर्षो की लंबी जद्दोजहद के बाद पूरे हिंदुस्तान में एक देश, एक विधान और एक निशान का सपना साकार होगा। बुधवार देर रात गृह मंत्रालय के अधिसूचना जारी करने के साथ ही जम्मू-कश्मीर राज्य अतीत का हिस्सा बन गया और दो नए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख देश के नक्शे पर उभर आए। दोनों ही जगह अलग-अलग प्रशासनिक व्यवस्था होगी, जिसकी कमान राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के तौर पर उपराज्यपाल संभालेंगे।
⚫️जीसी मुर्मू श्रीनगर तो आरके माथुर लद्दाख में लेंगे उपराज्यपाल की शपथ
🔴गिरीश चंद्र मुर्मू केंद्र शासित जम्मू कश्मीर के पहले उपराज्यपाल के तौर पर श्रीनगर स्थित राजभवन में शपथ ग्रहण करेंगे, जबकि राधाकृष्ण माथुर लद्दाख के पहले उपराज्यपाल के रूप में लेह में शपथ लेंगे। लद्दाख बिना विधानसभा का केंद्र शाासित राज्य होगा, जबकि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी।
🔵जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश दिलाएंगी शपथ
🔴जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल सुबह लेह में आरके माथुर को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी और उसके बाद वह विशेष विमान में श्रीनगर पहुंचेगी और यहां जीसी मुर्मू को शपथ दिलाएंगी। जीसी मुर्मू बुधवार को श्रीनगर पहुंच गए।
🔝शपथ ग्रहण समारोह की पूरी तैयारी
🔷पूर्व रक्षा सचिव माथुर सुबह 7.45 बजे लेह स्थित सिंधु संस्कृति केंद्र में आयोजित समारोह में शपथ ग्रहण करेंगे। समारोह सुबह 7.30 बजे शुरू होगा। इसकी तैयारियों की देखरेख कर रहे कमिश्नर सचिव लद्दाख रिगजिन सम्पेल ने बताया कि सभी प्रबंध हो गए हैं। वहीं श्रीनगर में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जीसी मुर्मू को सुबह पौने बारह बजे शपथ दिलाने का कार्यक्रम है। मुख्य न्यायाशीध गीता मित्तल को लेह से आना है। अगर उनके पहुंचने में देरी होती है तो शपथ ग्रहण पौने एक बजे होगा। समारोह में निवर्तमान राज्यपाल सत्यपाल मलिक की मौजूदगी की कोई सूचना नहीं है। उन्हें गोवा का राज्यपाल नियुक्त किया गया है।
🔳समारोह में कोई केंद्रीय मंत्री शामिल नहीं होगा
🔴दोनों ही जगह शपथ ग्रहण समारोह में फिलहाल किसी भी केंद्रीय नेता और केंद्रीय मंत्री के आगमन की सूचना नहीं है। पीएमओ में राज्यमंत्री व जम्मू संभाग के डोडा-कठुआ संसदीय क्षेत्र के सांसद डॉ. जितेंद्र सिंह भी किसी समारोह में शामिल नहीं होंगे। वह 31 अक्टूबर को दिल्ली में होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात में सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर स्टेचू ऑफ यूनिटी पर आयोजित एक समारोह में भाग लेंगे, जबकि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दिल्ली में रन फॉर यूनिटी दौड़ को हरि झंडी दिखाएंगे।
🔴इसलिए चुना गया 31 अक्टूबर का दिन
6 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को पारित किया था। इसके तहत जम्मू कश्मीर दो अलग-अलग केंद्र शासित राज्यों जम्मू कश्मीर व लद्दाख के रूप में 31 अक्टूबर को अस्तित्व में आएगा। केंद्र सरकार ने देश के पहले गृहमंत्री लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए ही जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को 31 अक्टूबर को प्रभावी बनाने का फैसला किया है। पटेल ने भारत-पाक विभाजन के बाद विभिन्न रियासतों के भारत में विलय में अहम भूमिका निभाई थी।
नरूला बने माथुर के सलाहकार, खंडारे लद्दाख के पुलिस प्रमुख
केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के वरिष्ठ नौकरशाह और राज्य के अंतिम राज्यपाल सत्यपाल मलिक के प्रधान सचिव उमंग नरूला को केंद्र शासित लद्दाख के पहले उपराज्यपाल आरके माथुर का सलाहकार नियुक्त किया है। नरूला 1989 बैच के आइएएस अधिकारी हैं। वह जम्मू प्रांत के मंडलायुक्त भी रह चुके हैं। लद्दाख में पुलिस प्रशासन की कमान 1995 बैच के आइपीएस एसएस खंडारे को सौंपी गई है। दोनों अधिकारी 31 अक्टूबर से अपना नया कार्यभार संभालेंगे।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने दिया था नारा
भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने एक देश, एक विधान और एक निशान का नारा दिया था। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के खिलाफ उन्होंने आंदोलन किया। इसी दौरान पुलिस हिरासत में उनकी मौत हो गई थी।
कोट
'लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाना क्षेत्र के अस्तित्व से जुड़ा मसला था। ऐसा कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर लद्दाखी की उम्मीद को पूरा कर दिया। हमें कश्मीर केंद्रित सरकारों के भेदभाव से आजादी
मिली है। अब क्षेत्र में तेज विकास का इतिहास रचा जाएगा'-जामियांग से¨रग नामग्याल, सांसद, भाजपा।
केंद्र शासित राज्य में उम्मीदें-
वाल्मीकि समाज को मिलेंगे सभी अधिकार
-वाल्मीकि समाज को भी राज्य की नागरिकता के साथ अन्य मूल अधिकार प्राप्त होंगे। छह दशक पहले वाल्मीकि समाज के कई परिवारों को पंजाब से जम्मू कश्मीर साफ सफाई के काम के लिए ही लाया गया था। तब यहां की सरकार ने इन लोगों को साफ सफाई की सरकारी नौकरियां दीं और आज भी यह लोग इन्हीं नौकरियों तक सीमित थे। दूसरी सरकारी नौकरियां पाना इनके लिए सपना ही बना रहा।
महिलाओं का बढ़ेगा विश्वास
अनुच्छेद 370 व 35 ए के खत्म होने व जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने से महिलाओं में भी विश्वास जगा है। पहले जो महिला जम्मू कश्मीर के बाहर दूसरे राज्य में शादी करती थी तो शादी के बाद उसके यहां के सभी अधिकारी समाप्त हो जाते थे। यहां तक अगर कोई यहां की महिला पाकिस्तान में शादी करती थी तो अगर वह वहां से यहां वापस आना चाहती तो उसे व उसके पति को यहां पर रहने के पूरे अधिकार थे जो देशहित के खिलाफ था। अब यहां की महिलाएं पूरी तरह से अपने आपको सुरक्षित मान रही हैं और उन्हें काफी खुशी भी है। तीन तलाक का डर भी अब समाप्त हो जाएगा क्योंकि जो पूरे देश में तीन तलाक का कानून बना है अब वह जम्मू कश्मीर में भी लागू होगा।
निर्माणाधीन योजनाओं को मिलेगी गति
केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में कई निर्माणाधीन योजनाओं को भी गति मिलने की उम्मीद बंधी है। जम्मू में कई ऐसी योजनाएं है जो सालों से लटकी हैं। ये योजनाएं जम्मू को पर्यटन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। अभी तक इन योजनाओं पर गंभीरता से काम नहीं हुआ, लेकिन अब उम्मीद है कि केंद्र सरकार के नेतृत्व में इन योजनाओं को शीघ्र पूरा किया जाएगा। बाहु फोर्ट केबल कार प्रोजेक्ट, तवी नदी में कृत्रिम झील, मुबारक मंडी जीर्णोद्धार, सुचेतगढ़ बार्डर टूरिज्म ऐसी योजनाएं हैं जो अगर जल्द पूरी हो जाए तो जम्मू में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिल सकता है!
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