★शैशवावस्था (जन्म से 05 वर्ष तक)
▫सीखने का आदर्श काल l
▫भावी जीवन की आधारशिला
▫जीवन का सबसे महत्वपूर्ण काल l
▫अनुकरण द्वारा सीखने की अवस्था l
▫तीव्रता से शारीरिक विकास की अवस्था l
▫क्षणिक संवेग की अवस्था l
▫समुचित सांवेगिक विकास की दृष्टि से स्वर्णिम
काल l
★बाल्यावस्था (06 से 12 वर्ष तक)
▫स्थूल संक्रियात्मक अवस्था l
▫अनोखा काल l
▫निर्माण काल (भावी जीवन की सफलता एवं
असफलता की नींव का काल) l
▫प्रारंभिक विधालय की आयु l
▫वैचारिक क्रिया अवस्था l
▫टोली, दल, समूह की आयु l
▫खेल की आयु l
▫प्रतिद्वंद्वात्मक सामाजीकरण का
काल l
▫मूर्त चिंतन की अवस्था l
▫कल्पना शक्ति एवं अमूर्त चिंतन के प्रारम्भ का
काल l
▫बाल्यावस्था तीव्र शारीरिक क्रियाशीलता
अभिवृद्धि का काल l
▫सामाजिकता विकसित होने का काल l
▫नये कौशलों एवं क्षमताओं के विकास की
वृद्धि का स्वर्णिम काल l
★किशोरावस्था (13 से 18 वर्ष तक)
▫अमूर्त चिंतन की अवस्था l
▫दल भक्ति की अवस्था l
▫जीवन का सबसे कठिन काल l
▫अटपटी व उलझन की अवस्था l
▫समस्याओं की अवस्था l
▫द्रुत एवं तीव्र विकास की अवस्था l
▫स्वर्ण काल l
▫बसन्त ऋतु l
▫सामाजिक स्वीकृति की अवस्था l
▫व्यक्तिगत एवं घनिष्ठ मित्रता की अवस्था l
▫प्रबल दबाब एवं तनाव की अवस्था
▫संवेगात्मक परिवर्तन की अवस्था l
▫आत्म-सम्मान व आत्म-स्वीकृति की अवस्था
▫तार्किक चिन्तन की अवस्था l
▫संघर्ष और तूफान की अवस्था l
▫उथल-पुथल की अवस्था l
▫संक्रमण काल की अवस्था/संक्रान्ति काल l
▫टीन एज l
▫सुनहरी अवस्था l
▫ऐज ऑफ ब्यूटी
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