What is relgiosity ?
👉 आजकल धर्म की परिभाषा कुछ विशेष व्यक्तियों के कर्मों के कारण दूषित होती जा रही है। क्या केवल लाल-पीले कपड़े कंठी-माला टोपी क्रास आदि पहनने से, या तिलक और पूजा-पाठ करने से, और क़िसी विशेष जाति वर्ग, परिवार, सम्प्रदाय अथवा देश में पैदा होने से कोई व्यक्ति धार्मिक हो सकता है ?
यदि पृथ्वी का कोई भी व्यक्ति इन दस (१०) सिद्धान्तों को आचरण में आत्मसात कर लेता है महर्षि मनु के अनुसार वह व्यक्ति ही सच्चा धार्मिक कहलायेगा ।
धृति: क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः।
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्।।
मनु०६/९१
१. धृति ~ धैर्य रखना।( patience)
२. क्षमा ~ शारीरिक, ज्ञान, आर्थिक, सामाजिक और आध्यतमिक सामर्थ्य होने पर भी, क्षमाशीलता का परिचय देना।(Forgiveness)
३. दम ~ मन की वृत्तियों को नियंत्रित करना।
(Self Control)
४. अस्तेयम् ~ चोरी न करना।( Do not steal.
चोरी सात प्रकार की होती है:-कर चोर, काम चोर, दाण चोर, प्रतिज्ञा चोर, यश चोर,आचरण चोर और आत्म सम्मान चोर -Seven evil in conduct (1)Tax avoidance,(2)failure to perform duty ,(3)indulging in smuggling ,(4)reneging on oath, (5)Violating code of conduct ,(6)stealing from other reputation,(7)loss of self respect
५. शौचम् ~ अंदर और बहार से अपने को पवित्र रखना।Internal & External Purification .
(purification of body, mind, spirit intellect, soul & the environment )
६. इंद्रिय निग्रह ~ अपनी इंद्रियों को या वृत्तियों को अपने वश में रखना तथा उन पर संयम रखना।(Restraint of the Senses)
७. धी ~ बुद्धिमानी का परिचय देना।(Enhancement of the intellect)
८. विद्या ~ ज्ञान प्राप्त करना।(Do acquisition of knowledge)
९. सत्यम् ~ सत्य भाव सत्य वचन, सत्य
क्रिया करना।(Adhering to Truth )
१०. आक्रोश ~ क्रोध न करना।(Absence of Anger)
0 comments:
Post a Comment