कैसे मनाया जाता है युवा दिवस:
भारत में युवा दिवस अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। स्कूल, कॉलेजों तथा महाविद्यालयों में इनडोर तथा आउटडोर प्रोग्राम होते हैं। जागरूकता रैलियां निकाली जाती है। कईं जगह विवेकानंद द्वारा रचित पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाई जाती है।
भारत सरकार को इस दिवस के लिए ऐसे व्यक्ति का चुनाव करना था जिसके विचार, जीवन तथा आदर्श युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत हो। इसके लिए स्वामी विवेकानंद जी को चुना गया। स्वामी विवेकानंद ऐसे युवा व्यक्ति थे जो संत, दार्शनिक, समाज सुधारक होने के साथ साथ महिला सशक्तिकरण पर बल देने वाले तथा देश के युवाओं के चरित्र निर्माण पर भी बल देते थे। महिलाओं के बारे में उनका कथन था कि महिलाओं को शिक्षा दो तो वो खुद बताएंगी कि उनके लिए क्या जरूरी है।
स्वामी जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को बंगाल रियासत के एक समृद्ध परिवार में हुआ। इनके बचपन का नाम वीरेश्वर था। पर घर का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। इनके पिता कलकत्ता हाई कोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे। इनकी माता धार्मिक विचारों वाली स्त्री थी। धर्म की शिक्षा और संस्कार इनको घर से ही मिले थे। इनके घर में पूजा पाठ होता रहता था। इनकी स्मरण शक्ति कमाल की थी। किसी भी किताब को पहली बार में पढ़ने मात्र से याद कर लेते थे। रामायण और अन्य धार्मिक ग्रन्थों को उन्होंने कंठस्थ कर लिया था। 25 वर्ष की आयु में स्वामी जी ने घर छोड़ दिया था। रामकृष्ण परमहंस को उन्होंने गुरु बना लिया। तेज बुद्धि और विलक्षण प्रतिभा होने के कारण परमहंस ने इनको सभी शिष्यों का प्रमुख बना दिया। 11 सितंबर 1893 को उन्होंने अमेरिका की धर्म संसद में हिन्दू धर्म का प्रतिनिधित्व किया। उन्हें बोलने के लिए 2 मिनट का समय दिया गया। उनके व्याख्यान के प्रथम शब्द " मेरे अमेरिकी भाइयों बहनों " उस धर्म सम्मेलन में बैठे प्रत्येक व्यक्ति के दिल को छू गए। उन्होंने भाईचारे का सन्देश देने वाले हिन्दू धर्म का अमेरिका में भी प्रचार किया। उन्होंने रामकृष्ण मिशन और बेलूर मठ की स्थापना की। उन्होंने पूरे भारत का भ्रमण किया। 4 जुलाई 1902 को उन्होंने 39 वर्ष में बेलूर मठ में समाधि ले ली।
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