भूवैज्ञानिकों ने उत्तर प्रदेश के नक्सल प्रभावित सोनभद्र जिले में लगभग 3000 तक सोने की दो खदानों के खोजे जाने का दावा किया है. राज्य के खनन विभाग ने सोने की खदान के क्षेत्र का नक्शा बनाने के लिए सात सदस्यीय टीम का गठन किया है.
हालाँकि, यह खोज लगभग दो दशक पहले हुई थी, लेकिन इस खदान का अंतिम आकलन और सीमांकन प्रक्रिया हाल ही में पूरी हुई है. सरकार ने अब इसके लिए एक विशेष टीम बनाई है जो इस सोने की खान की देखरेख करेगी और काम शुरू करने के लिए नक्शा तैयार करेगी.
सोने की खदान कहाँ पाई गई?
उत्तर प्रदेश में ऐसे दो क्षेत्र हैं जहां विशेषज्ञ भारी सोने का भंडार मौजूद होने की उम्मीद कर रहे हैं. पहला स्थान सोनपहाड़ी और दूसरा हरदी क्षेत्र है. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के आकलन के अनुसार, सोनपहाड़ी में लगभग 2700 टन और हरदी क्षेत्र में 650 टन सोना हो सकता है.
विशेषज्ञों के अनुसार, यह भारत के सोने के भंडार का लगभग पांच गुना हो सकता है. विश्व स्वर्ण परिषद की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वर्तमान में 618.2 टन सोने का भंडार है. कुल विदेशी भंडार में सोने की हिस्सेदारी 6.6 प्रतिशत है. इस संदर्भ में, भारत सोने के भंडारण के मामले में दुनिया में 9 वें स्थान पर है.
सोने का भंडार क्या होता है?
सोने का भंडार यह गोल्ड रिज़र्व किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखे गए सोने की विशिष्ट मात्रा है. इसका उपयोग सरकार द्वारा आर्थिक संकट के दौरान किया जाता है. यह देश की मुद्रा की सुरक्षा करता है और केंद्रीय बैंक की क्रय शक्ति को बनाए रखता है. भारतीय रिजर्व बैंक अपने स्टोर में सोने की एक विशिष्ट मात्रा रखता है. सोनभद्र में मिलने वाली गोल्डमाइन में लगभग 3000 टन सोना हो सकता है, जिसकी कीमत लगभग 12 लाख करोड़ रुपये है.
भारत पर इसका असर
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुमान के मुताबिक, पूरी दुनिया में एक वर्ष में 4000-5000 टन सोना आयात होता है. सोनभद्र सोने की खदान 8-9 महीनों के लिए वैश्विक सोने की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. सोनभद्र खदान भारत के विदेश से होने वाले सोने के आयात को कम करने में अहम भूमिका निभा सकती है.
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