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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

चोलकालीन स्थापत्य ।।

० चोल शासकों ने द्रविड़ शैली के अंतर्गत ईंटों की जगह पत्थरों और शिलाओं का प्रयोग कर ऐसे-ऐसे मंदिर बनाए, जिनका अनुकरण पड़ोसी राज्यों एवं देशों तक ने किया।

० चोल इतिहास के प्रथम चरण (विजयालय से लेकर उत्तम चोल) में तिरुकट्टलाई का सुंदेश्वर मंदिर, कन्नूर का बालसुब्रह्मण्यम मंदिर, नरतमालै का विजयालय मंदिर, कुंभकोणम का नागेश्वर मंदिर तथा कदम्बर- मलाई मंदिर आदि का निर्माण हुआ।

० महान चोलों (राजराज-से कुलोतुंग-III तक) के दौर में तंजावुर में वृहदेश्वर मंदिर तथा गंगईकोंड चोलपुरम का शिव मंदिर (राजेन्द्र प्रथम का) ख्याति प्राप्त हैं।

० इन दोनों मंदिरों को देखकर कहा गया कि ‘‘उन्होंने दैत्यों के समान कल्पना की और जौहरियों के समान उसे पूरा किया।’'

० इन दोनों के अलावा दारासुरम का ऐरावतेश्वर और त्रिभुवनम का कम्पहरेश्वर मंदिर भी सुंदर एवं भव्य हैं।

० चोल स्थापत्य की सबसे बड़ी खासियत है कि उन्होंने वास्तुकला में मूर्तिकला और चित्रकला का भी बेजोड़ संगम किया।

० चोलयुगीन मूर्तियों में नटराज की कांस्य प्रतिमा सर्वोत्कृष्ट है। इसे चोल कला का सांस्कृतिक निकष (कसौटी) कहा गया है।

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