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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

राजस्थान की हस्तकलाए।।

ब्लॉक प्रिंटिंग
अजरक प्रिंट__ बाड़मेर 
आजम प्रिंट___ अकोला चित्तौड़गढ़ सांगानेरी प्रिंट_ सांगानेर 
बगरू प्रिंट ____बगरू
बंधेज____ जोधपुर जयपुर शेखावटी बीकानेर सीकर

जयपुर का लहरिया एवं पोमचा प्रसिद्ध है.

कढ़ाई एवं कशीदाकारी___ यह कार्य सीकर झुंझुनू व आसपास के इलाकों में विशेष तौर पर होता है
पेच वर्क ____यह सिक्योरिटी क्षेत्र में विशेष रूप से प्रचलित है
जरी एवं गोटे का काम____ गोटे का काम खंडेला जयपुर भिनाय अजमेर में होता है
**जरी का काम महाराजा सवाई जयसिंह के समय में सूरत से जयपुर लाया गया था.

गलीचे नमदे एवं दरिया__  जयपुर गलीचे निर्माण के लिए प्रसिद्ध है 
नागौर के टांकला ग्राम की दरिया विश्व प्रसिद्ध है 
टोंक के  उन्नी नमदे प्रसिद्ध है

कपड़ों पर चित्रकारी 
फड़ चित्रण भीलवाड़ा
 शाहपुरा का जोशी परिवार हर चित्रण में सिद्धहस्त है
नाथद्वारा की पिछवाईया  इसमें श्रीकृष्ण की लीलाओं का चित्रण किया जाता है

 लाख का काम _जयपुर में सर्वाधिक होता है

टेराकोटा_ नाथद्वारा राजसमंद के पास मुलीला गांव बस्सी चितौड़गढ़

मीनाकारी__ इसे जयपुर में महाराजा मानसिंह प्रथम द्वारा 16 वीं  शताब्दी में लाहौर से लाया गया था यह कला मूल रूप से पारस से मुगलों द्वारा लाई गई थी राजस्थान में मीनाकारी के कार्य के लिए जयपुर प्रसिद्ध है

थेवा कला _ प्रतापगढ़ 
**प्रतापगढ़ का सोनी परिवार इस कला के लिए सिद्धहस्त हैं

कुंदन__ स्वर्ण आभूषणों में कीमती पत्र देने की कला कुंदन का लगती है यह जयपुर में अधिक प्रचलित है

बादला___  जोधपुर के बादले सर्वाधिक प्रसिद्ध है 
**यह कला दमिश्क से भारत आई थी

उस्ता कला___ बीकानेर


पेपर मेसी या कुटी का काम___ जयपुर उदयपुर

मिरर वर्क जैसलमेर बाड़मेर में विशेष रूप से होता है 
**यह कला बलूचिस्तान और सिंध से आई

तारकशी__ नाथद्वारा राजसमंद

लकड़ी के खिलौने बनाने का काम _उदयपुर में सवाई माधोपुर में अधिक होता है
लकड़ी के फर्नीचर पर बारीक खुदाई व नक्काशी का कार्य बाड़मेर में उम्दा किस्म का होता है

मूर्तिकला_ जयपुर

**Note____

*कांसे के बर्तन बनाने का कार्य भीलवाड़ा में अधिक होता है 

*जालौर के मामा जी के घोड़े प्रसिद्ध है

* सीप पर कलात्मक कार्य जोधपुर में होता है

* प्लाण _ ऊंट की पीठ पर कसा जाने वाला बैठने का सीट जैसा ढांचा

*जीण__ घोड़े  की पीठ पर  कसा जाने
वाला बैठने का सीट जैसा ढांचा

*कागज जैसे पतले पत्थर पर चित्रांकन करने का कार्य बीकानेर में होता है

*दूध घी आदि रखने के छोटे बर्तन को 
गोवणिया कहते हैं

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