मांडणा__ मांगलिक अवसरों पर महिलाओं द्वारा बनाए गए खड़िया हिरमिच और गेरू की सहायता से बने अलंकरण
सातीये___इन्हे बच्चों के जन्म के अवसर पर बनाया जाता है
ताम___यह मांडणा विवाह के अवसर पर लग्न मंडप के समय बनाया जाता है
कठपुतली ____ मारवाड़ इन नटों का मुख्य स्थल है
**कठपुतली बनाने का काम उदयपुर और चित्तौड़गढ़ में होता है
तोरण___ विवाह के अवसर पर दुल्हन के घर के मुख्य प्रवेश द्वार पर लटकाए जाने वाली लकड़ी की कलाकृति जिसके शीर्ष पर मयूर बना होता है
चोपड़े __ विवाह एवं अन्य मांगलिक अवसरों पर कुमकुम अक्षत चावल आदि रखने हेतु प्रयुक्त लकड़ी का पात्र!
बाजोट __भोजन पूजा के थाल आदि के नीचे रखी जाने वाली चौकी
बेवाण___ लकड़ी के बने मंदिर व देव विमान जिनकी देव झुलनी एकादशी को झांकी निकाली जाती है
थापा__ हाथ की अंगुलियों के थप्पे देकर दीवार पर जो चित्र बनाए जाते हैं वे थापे कहलाते हैं
पाने___विभिन्न देवी-देवताओं के कागज पर बने -बड़े चित्र पाने कहलाते हैं
वील___ राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में घर की छोटी-मोटी चीजों को सुरक्षित है रखने हेतु बनाई गई मिट्टी की चित्रित आकृति वील कहलाती है
बटे - वड़े चारों तरफ से गोबर की लिपाई से बंद चुके अपनों के ढेर को बटे वडा कहते हैं
कोठियां _राजस्थान के ग्रामीण अंचलों में अनाज संग्रहण हेतु उपयुक्त मिट्टी के कलात्मक पात्र
सोहरिया__ भोजन सामग्री रखने के मिट्टी के बने कलात्मक पत्थर जो ग्रामीण अंचलों में प्रचलित है
ओका-नोका- गुणा___ व्याधि निवारण हेतु ग्रामीण अंचलों में गोबर से बनाए जाने वाला आकार जो चेचक निकलने पर विशेषत: बनाकर पूजा जाता है
मोण___ मेड़ता क्षेत्र में बनाए जाने वाले मिट्टी के बड़े मटके
भराड़ी__ आदिवासी भील ऑन द्वारा लड़की के विवाह पर घर की दीवार पर बनाए जाने वाला लोक देवी का चित्र
गोरबंद ___ऊंट के गले का आभूषण! इसके संबंध में गोरबंद नखरालो लोकगीत प्रसिद्ध है
सूत कातने के चरखे को रहन्टा और भैरैला भी कहते हैं
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