नोबेल शांति पुरस्कार उस व्यक्ति / संगठन को दिया जाता है जो दुनिया भर में शांति बहाली में उत्कृष्ट योगदान को बढ़ावा देता है. नोबेल शांति पुरस्कार उद्योगपति और डायनामाइट के आविष्कारक यानी अल्फ्रेड नोबेल की इच्छा के अनुसार स्थापित 5 नोबेल पुरस्कारों में से एक है. हालाँकि अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार को मिलाकर कुल 6 क्षेत्रों में दिया जाता है.
पहला नोबेल शांति पुरस्कार 117 साल पहले (10 दिसंबर 1901) जीन हेनरी डुनेंट और फ्रैडरिक पासी को दिया गया था.
अब तक 1901 से 2019 के बीच 134 नोबेल पुरस्कार विजेताओं (107 व्यक्तियों और 27 संगठनों) को 100 बार नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है.
लेकिन सवाल यह उठता है कि महात्मा गांधी को आज तक यह पुरस्कार क्यों नहीं दिया गया? (Why no Nobel Peace Prize to Gandhi ji)
महात्मा गांधी को 1937, 1938, 1939 और 1947 में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था. भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के कारण गाँधी जी का दावा इस पुरस्कार के लिए बहुत मजबूत हो चुका था. उन्हें 1948 में फिर से नामांकित किया गया था और यह निश्चित था कि उन्हें इस बार नोबेल शांति पुरस्कार मिलेगा. लेकिन नोबेल पुरस्कार की घोषणा के कुछ दिन पहले महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे द्वारा कर दी गयी थी.
दरअसल नॉर्वेजियन नोबेल समिति के नियम के अनुसार ‘नोबेल पुरस्कार मरणोपरांत नहीं दिया जाता है.’ हालांकि, अगर किसी व्यक्ति को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है और वह इसे प्राप्त करने से पहले मर जाता है, तब भी उसे पुरस्कार दिया जा सकता है.
नोबेल समिति का यह भी नियम है कि तीन से अधिक व्यक्तियों के बीच एक नोबेल पुरस्कार साझा नहीं किया जा सकता है, हालांकि 3 से अधिक लोगों के संगठनों को नोबेल शांति पुरस्कार दिया जा सकता है.
गाँधी जी की मृत्यु के बाद नोबेल कमेटी ने सार्वजनिक रूप यह कहा था कि नोबेल पुरस्कार विजेताओं की सूची में गाँधी जी का नाम ना होने से समिति को दुःख हुआ है. यही कारण है कि वर्ष 1948 में नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी ने किसी को भी नोबेल शांति पुरस्कार नहीं दिया था. यह गाँधी जी के प्रति नोबेल समिति का सम्मान था.
नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं की सूची में गाँधी जी का नाम ना होने से नोबेल समिति काफी दुखी थी और जब वर्ष 1989 में; जब दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था तो नोबेल समिति के अध्यक्ष ने कहा कि दलाई लामा को यह पुरस्कार "महात्मा गांधी की याद में श्रद्धांजलि" है, क्योंकि दोनों ही महात्मा हैं.
यहाँ पर इस बात का उल्लेख जरूरी है कि गाँधी जी को भारत रत्न दिलाने के लिए बहुत सी जनहित याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट और कर्नाटक हाईकोर्ट में दाखिल की जा चुकी हैं.
ऐसी ही याचिका 26 अक्टूबर 2012 में कर्नाटक के रहने वाले मंजुनाथ ने दाखिल की थी. मंजुनाथ ने याचिका में कहा कि माननीय हाई कोर्ट; गृह मंत्रलय को यह आदेश दे कि गाँधी जी को उनके योगदान के लिए भारत रत्ना दिया जाये.
कोर्ट ने दलील दी कि गांधी जी और उनके कर्म अमर हैं. भारत रत्न या कोई भी पुरस्कार उनके स्टेटस को नुकसान पहुंचा सकता है.
इसलिए उपरोक्त व्याख्या के आधार पर यह कहा जा सकता है कि गांधी जी को नोबेल शांति पुरस्कार इसीलिए नहीं दिया गया है क्योंकि यह पुरस्कार केवल जीवित व्यक्तियों को दिया जाता है और भारत रत्न गांधी जी के कद के बराबर नहीं है. (हालांकि यह सिर्फ एक धारणा हो सकती है. लेखक यहाँ पर भारत रत्न के महत्व को कम करके नहीं आंकना चाहता है.)
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