❇️ पश्चिम बंगाल सरकार ने शोधकर्त्ताओं द्वारा खोजी गई चावल की नई किस्म मुक्तोश्री (Muktoshri) के व्यवसायीकरण की अनुमति दी गई, जो आर्सेनिक प्रतिरोधी (Arsenic-Resistant) है।
❇️❇️ मुख्य बिंदु:-
❇️ मुक्तोश्री को आईईटी 21845 (IET 21845) नाम से भी जाना जाता है। इसे पश्चिम बंगाल के कृषि विभाग के अंतर्गत आने वाले राइस रिसर्च स्टेशन, चिनसुराह और राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।
❇️ चावल की इस नई किस्म को वर्ष 2013 में विकसित किया गया था जबकि पश्चिम बंगाल सरकार ने वर्ष 2019 में मुक्तोश्री के व्यावसायिक उपयोग की अनुमति दी थी।
❇️❇️ महत्त्व:-
❇️ पश्चिम बंगाल भूजल में आर्सेनिक की उच्चतम सांद्रता वाले राज्यों में से एक है जिसके सात ज़िलों के 83 ब्लॉकों में आर्सेनिक का स्तर सामान्य सीमा से अधिक है।
❇️ कई अध्ययनों से पता चला है कि भूजल और मिट्टी के द्वारा आर्सेनिक धान के माध्यम से खाद्य शृंखला में प्रवेश कर सकता है।
❇️ विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार लंबे समय तक आर्सेनिक-युक्त जल के पीने एवं खाना पकाने में उपयोग करने से विषाक्तता हो सकती है। आर्सेनिक के कारण त्वचा क्षतिग्रस्त एवं त्वचा कैंसर जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं।
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