🟥आज हम जो ज़िंदगी जी रहे हैं, इससे बेहतर और सभ्य ज़िंदगी तो 4600 साल मोहनजोदड़ो के लोग जी रहे थे. आपने इसके बारे में सिर्फ किताबों में पढ़ा होगा चलिए आज इंटरनेट पर भी पढ़ते हैं. आइए जानते हैं सिंधु घाटी के प्रमुख नगर ‘मोहनजोदड़ो‘ से जुड़े ग़ज़ब फैक्ट्स।
1. ऐसा माना जाता हैं कि मोहनजोदड़ो 4600 साल पुराना हैं।
2. मोहनजोदड़ो सिंधी भाषा का शब्द हैं जिसका अर्थ “मुर्दो का टीला हैं। इसे मुअन जो दड़ो भी कहा जाता हैं। ये सिंध अभी पाकिस्तान में हैं।
3. इस शहर के लोगो को तांबे का ज्ञान था लेकिन लोहे के बारे में कोई ज्ञान नही था.
4. मोहनजोदड़ो सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे पुराना शहर था। इसकी खोज 1922 में राखालदास बनर्जी ने की थी।
5. इस 4600 साल पुरानी सभ्यता की आबादी शायद 40000 से भी ज्यादा थी।
6. खुदाई के वक्त यहाँ ईमारतें, धातुओं की मूर्तियां और मुहरें आदि मिली. ऐसा माना जाता हैं कि ये शहर 200 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला था।
7. मोहनजोदड़ो में 8 फीट गहरा, 23 फीट चौड़ा और 30 फीट लंबा कुंड भी हैं। इसमे वाटरप्रूफ ईंट भी लगी थी ऐसा माना जाता हैं कि इसका उपयोग नहाने के लिए किया जाता था।
8. मोहनजोदड़ो के लोग शतरंज खेलना जानते थे।
9. हडप्पा के निवासी घरों और नगरों के निर्माण के लिए ग्रीड पद्धति का इस्तेमाल करते थे। यहाँ बड़े घर, चौड़ी सड़कें और बहुत सारे कुएँ होने के प्रमाण हैं।
10. मुअनजो दड़ो की सड़कों और गलियों में आज भी घूमा जा सकता हैं. यहां की दीवारें आज भी काफी मजबूत हैं. इसे भारत का सबसे पुराना लैंडस्केप कहा गया हैं. यहां पर बौद्ध स्तूप भी बने हैं।
11. मोहनजोदड़ो की सभ्यता के दौरान बड़े बड़े अन्न भंडार मिले है जिससे पता चलता है उस दौर में उन्होंने अन्न को सहेजकर साल भर इस्तेमाल करने का तरीका सीख लिया था।
12. मोहनजो दड़ो के संग्रहालय में काला पड़ गया गेंहू, तांबे और काँसे के बर्तन, मुहरें, चौपड़ की गोटियाँ, दीए, माप-तोल के पत्थर, तांबे का आईना, मिट्टी की बैलगाड़ी, दो पाटन की चक्की, कंघी, मिट्टी के कंगन और पत्थर के औजार हैं।
13. 500 ईसा वर्ष पूर्व की मोहनजोदड़ो सभ्यता के प्राप्त अवशेषों में मिट्टी की एक मूर्ति के अनुसार उस समय भी दीपावली मनाई जाती थी. उस मूर्ति में मातृ-देवी के दोनों ओर दीप जलते दिखाई देते हैं।
14. खोज के दौरान पता चला था कि यहाँ के लोग गणित का भी ज्ञान रखते थे, इन्हें जोड़ घटाना, मापना सब आता था।
15. दुनिया में सूत के दो सबसे पुराने कपड़ों में से एक का नमूना यहाँ पर ही मिला था।
16. सिन्धु घाटी सभ्यता के पतन का कारण आज तक किसी को पता नही है कुछ लोग आर्यों को उनकी पतन का कारण मानते हैं लेकिन यह अभी तक सिद्ध नही हुआ हैं। इतिहासकार रेडियोएक्टिव विकिरणों को उनकी मौत का कारण बताते हैं।
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