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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

भारत छोड़ो आंदोलन ;-

शरुआत: 8 अगस्त 1942

8 अगस्त 1942 में गांधीजी ने भारत छोड़ो आंदोलन को शुरु किया. इसका लक्ष्य ब्रिटिश शासन से पूरी तरह आज़ादी हासिल करना था और ‘करो या मरो’ का नारा दिया. यह आंदोलन ‘अगस्त क्रान्ति’ के नाम से भी जाना जाता है.भारत को अगस्त 1947 में शासकों, क्रांतिकारियों और उस समय के नागरिकों की कड़ी मेहनत, त्याग और निस्वार्थता के बाद स्वतंत्रता हासिल हुई. इस आंदोलन को अगस्त क्रांति भी कहा जाता है जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की अंतिम महान लड़ाई थी

कारण:-

1. निकट पूर्व में जापान की शानदार सफलता से भारतीयों को यह विश्वास हो गया कि ब्रिटिश साम्राज्य का खात्मा अवश्यंभावी है।
2. क्रिप्स मिशन की असफलता ने भारतीयों को कटुता से भर दिया।
3. भारतीयों को यह विश्वास हो गया कि ब्रिटिश सरकार युद्ध के बीच किसी भी प्रकार के सम्मानजनक समझौते के लिए तैयार नहीं है।
4. युद्ध के कारण भारत की बिगड़ती हुई आर्थिक स्थिति।
5. भारत में विदेशी सैनिकों का अभद्र व्यवहार

भारत छोड़ो आन्दोलन की आलोचना :- 

मस्लिम लीग ने आन्दोलन की आलोचना करते हुए कहा कि ‘आन्दोलन का लक्ष्य भारतीय स्वतंत्रता करना है, इस कारण यह आन्दोलन मुसलमानों के लिए घातक है।’ मुस्लिम लीग तथा उदारवादियों को भी यह आन्दोलन नहीं भाया।

 सर तेजबहादुर सपू ने इस प्रस्ताव को ‘अविचारित तथा असामयिक’ बताया।
भीमराव अंबेडकर ने इसे ‘अनुत्तरदायित्व पूर्ण और पागलपन भरा कार्य’ बताया। 
हिन्दू महासभा एवं अकाली आन्दोलन ने भी इसकी आलोचना की।

मस्लिम लीग ने 23 मार्च, 1943 को पाकिस्तान दिवस मनाने का आह्वान किया।

मस्लिम लीग ने 1943 के करांची अधिवेशन में ब्रिटेन से कहा कि ‘विभाजन करो व छोड़ो। 

भारत छोड़ो आन्दोलन की असफलता के कारण :- 

1. कार्यक्रम की रूपरेखा स्पष्ट नहीं थी।
2. नेतृत्व औपचारिक रूप से आंदोलन प्रारंभ करता, इससे पहले ही प्रमुख नेता गिरफ्तार हो गये थे
3. आम जनता नेतृत्व विहीन हो गयी थी।
4. अंग्रेजों द्वारा युद्ध के लिए एकत्रित सेना का उपयोग इस आंदोलन के दमन में किया गया l


भारत छोड़ो आन्दोलन का महत्व :- 

 इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार के समक्ष स्पष्ट कर दिया कि भारत को स्वतंत्राता प्रदान करने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे
 
इस आंदोलन के कारण भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन की छवि खराब हुई, क्योंकि उन्होंने इस आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया 

चीन के तत्कालीन मार्शल च्यांग काई शेक ने 25 जुलाई, 1942 ई. को संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति रूजवेल्ट को पत्रा में लिखा, ‘अंग्रेजों के लिए सबसे श्रेष्ठ नीति यह है कि वे भारत को पूर्ण स्वतंत्रता दे दें। रूजवेल्ट ने भी इसका समर्थन किया 

 सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आन्दोलन के बारे में लिखा भारत में ब्रिटिश राज के इतिहास में ऐसा विप्लव कभी नहीं हुआ जैसा कि पिछले तीन वर्षों में हुआ लोगों की प्रतिक्रिया पर हमें गर्व है
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