भारतीय नौसेना ने 12 नवंबर 2020 को दक्षिण मुंबई के मझगांव डॉक में पांचवीं स्कॉर्पीन पनडुब्बी ‘वागीर’ लॉन्च की. यह पनडुब्बी एंटी-सरफेस वारफेयर, माइन बिछाने, खुफिया जानकारी जुटाने और क्षेत्र की निगरानी जैसे मिशन को अंजाम देने में सक्षम है. भारत लगातार अपनी सैन्य ताकत में इजाफा कर रहा है.
भारतीय नौसेना की स्कॉर्पीन श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी वागिर को मुंबई स्थित मझगांव डॉकयार्ड से मुख्य अतिथि व रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक की पत्नी विजया ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये लांच किया. अब समुद्र में भारतीय नौसेना की ताकत और बढ़ गई है क्योंकि भारतीय नौसेना को पांचवीं स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी मिल गई है, जिसका नाम 'आईएनएस वागीर' रखा गया है.
पहली वागीर पनडुब्बी
वागीर हिंद महासागर में पाई जाने वाली एक शिकारी मछली है, जो बेहद खतरनाक होती है. पहली वागीर पनडुब्बी रूस से आई थी. उसे 03 दिसंबर 1973 को नौसेना में शामिल किया गया था और 07 जून 2001 को सेवामुक्त कर दिया गया.
वागीर कलवरी श्रेणी: एक नजर में
वागीर कलवरी श्रेणी की छह पनडुब्बियों का हिस्सा है, जिनका निर्माण भारत में किया जा रहा है. इन्हें फ्रांसीसी नौसेना एवं ऊर्जा कंपनी डीसीएनएस ने डिजाइन किया है. इसका निर्माण भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट-75 के अंतर्गत मेक इन इंडिया अभियान के तहत किया जा रहा है. इस श्रेणी की पहली पनडुब्बी कलवरी है. इसमें से भारत को तीन पनडुब्बी आईएनएस कलवारी, खांडेरी और करंज पहले ही मिल चुकी हैं.
खासियत
यह सतह और पनडुब्बी रोधी युद्ध, खुफिया सूचना एकत्र करने, सुरंग बिछाने व निगरानी में माहिर है. यह दुश्मन के रडार को आसानी से चकमा देने में माहिर है. यह अन्य पनडुब्बियों से अलग पानी में छिपने में माहिर है. यह पनडुब्बी आवाज कम करती है और इसका आकार इसे पानी में तेजी से चलने में मदद करता है.
इन अत्याधुनिक पनडुब्बियों की सबसे बड़ी खासियत समुद्र के अंदर चुपके से दुश्मुन को ठिकाने लगा देने की क्षमता है. ये पनडुब्बी खुफिया जानकारी हासिल करने में माहिर होते हैं, इतना ही नहीं माइंस बिछाने, परमाणु हथियारों से हमला और एरिया सर्विलांस जैसे खासियतों से पूरी तरह लैस होते हैं.
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