प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 नवंबर 2020 को ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) देशों के शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे. इसी सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी हिस्सा लेंगे. इस तरह एक महीने में दूसरी बार दोनों आमने-सामने होंगे. पिछले सप्ताह शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में दोनों शामिल हुए थे.
ब्रिक्स सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है, जब इसके दो प्रमुख सदस्यों के बीच सीमा विवाद अपने चरम पर है. भारत और चीन के बीच मई से ही पूर्वी लद्दाख सीमा पर तनाव जारी है. तनाव का नतीजा यह रहा है कि दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प भी हो गई है. हालांकि, वर्तमान में दोनों ही सेनाएं पीछे हटने के प्रस्ताव पर काम कर रही हैं.
प्रधानमंत्री मोदी और जिनपिंग का आमना-सामना
हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग का 10 नवंबर 2020 को हुई शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के दौरान आमना-सामना हुआ था. वहीं, ब्रिक्स सम्मलेन के बाद एक बार फिर दोनों ही नेताओं का आमना-सामना 21 और 22 नवंबर को जी-20 की बैठक में होना है.
इस बार की थीम क्या है?
मंत्रालय ने बताया कि इस बार सम्मेलन की थीम 'वैश्विक स्थिरता, साझा सुरक्षा और अभिनव विकास' रहेगी. बता दें कि ब्रिक्स देशों के संगठन में पांच तेज गति से उभर रही अर्थव्यवस्थाओं वाले देश हैं. इनमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं. मंत्रालय ने इस संबंध में कहा कि 12वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगांठ की पृष्ठभूमि में और कोविड-19 वैश्विक महामारी के बीच आयोजित किया जा रहा है.
इस विषय पर होगी चर्चा
कोविड-19 महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए बहुपक्षीय प्रणाली के उपायों में सुधार भी शामिल हैं. इसके अलावा शिखर सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ जंग में सहयोग, व्यापार, स्वास्थ्य, ऊर्जा और लोगों से लोगों का आदान-प्रदान पर भी चर्चा होगी.
अगले साल के लिए भारत को सौंपी जाएगी अध्यक्षता
भारत 2021 में होने वाले 13वें ब्रिक्स देशों के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा. इससे पहले भारत ने साल 2012 और साल 2016 में ब्रिक्स देशों के शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की है.
पृष्ठभूमि
ब्रिक्स देशों का यह सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है जब इसके दो प्रमुख सदस्य देशों भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा पर छह महीने पहले हुई एक हिंसप झड़प के बाद गतिरोध बरकरार है. अब दोनों पक्ष ऊंचाई वाले इलाकों से सैनिकों को पीछे हटाने के प्रस्ताव पर काम कर रहे हैं..
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