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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

बीएसएनएल ने लॉन्च की सैटेलाइट आधारित सर्विस, समुद्र में भी अब मिलेगा नेटवर्क।।

बीएसएनएल की तरफ से जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि ये दुनिया का पहला उपग्रह आधारित आईओटी नेटवर्क है. 

भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) ने हाल ही में सैटेलाइट आधारित इंटरनेट ऑफ थिंग्स (Internet Of Things) उपकरण सेवा शुरू की है. इसकी वजह से देश की समुद्री सीमा के अंदर किसी भी स्थान से फोन लगाया जा सकेगा, जहां मोबाइल टावर भी नहीं है.

इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के विजन के अनुसरण में शुरू किया गया है. इसकी शुरूआत मछुआरों, किसानों, निर्माण, खनन और रसद उद्यमों के साथ की गई है. इस समाधान के साथ भारत में अब लाखों असंबद्ध मशीनों, सेंसर और औद्योगिक आईओटी उपकरणों के लिए कनेक्टिविटी सुनिश्चित हो सकेगी.

दुनिया का पहला उपग्रह आधारित IOT नेटवर्क

बीएसएनएल की तरफ से जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि ये दुनिया का पहला उपग्रह आधारित आईओटी नेटवर्क है. इस सेवा को अमेरिका की स्काइलो के साथ साझेदारी में शुरू किया गया है. स्काइलो ने भारत में इस्तेमाल के लिए इन उपकरणों को तैयार किया है.

प्रत्येक इकाई की कीमत 10,000 रुपये

बीएसएनएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पी. के. पुरवार ने कहा कि स्काइलो के उपकरणों को केवल यह सरकारी कंपनी ही उपलब्ध कराएगी. इसकी प्रत्येक इकाई की कीमत 10,000 रुपये है. इस चौकोर आकार के उपकरण को ग्राहक देशभर में कहीं भी ले जा सकते हैं और अपने स्मार्टफोन से कनेक्ट करके कम्यूनिकेशन कर सकते हैं.

उन्होंने कहा कि स्काइलो 2021 में कोविड-19 के टीके के प्रभावी वितरण के लिए लॉजिस्टिक क्षेत्र को महत्वपूर्ण आंकड़े उपलब्ध कराने में भी सहायता करेगी. लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के लिए भौतिक सहायता बुनियादी ढांचागत क्षेत्र के तहत मौजूद है.

भारतीय समुद्री सीमा को करेगा कवर

यह नया 'मेड इन इंडिया' समाधान, जो कि स्वदेशी रूप से स्काईलो द्वारा विकसित किया गया है. यह बीएसएनएल के सैटेलाइट ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ेगा और भारतीय समुद्रों सहित पैन-इंडिया कवरेज प्रदान करेगा. यह कवरेज इतना विशाल होगा कि इसकी मदद से भारत की सीमा के भीतर कश्मीर और लद्दाख से कन्याकुमारी तक और गुजरात से लेकर पूर्वोत्तर तक भारतीय समुद्री सीमा को कवर किया जाएगा.
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